Daily Archives: July 30, 2021

सधे कदम, बुलंद हौसलो से लिखी सफलता की कहानी, आपने सुना है उत्तराखंड के सीएम धामी का ये वायरल वीडियो

हौसले बुलंद कर रास्तों पर चल दे, तुझे तेरा मुकाम मिल जाएगा
बढ़ कर अकेला तू पहल कर, देख कर तुझको काफिला खुद बन जाएगा

उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जीवनी हर उस व्यक्ति के लिए प्ररेणास्रोत है जो यह सोचता है कि अभावों में जीवन यापन करने वाला व्यक्ति सफलता की ईबारत नहीं लिख सकता है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीवन की ही तरह उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री धामी का जीवन भी संघर्षों भरा रहा है। मुख्यमंत्री धामी ने अभावों में जीवन यापन करने के बावजूद मुश्किलों को कभी भी खुद पर हावी नहीं होने दिया। मन में विश्वास और मंजिल की तरफ सधे कदमों से चलते रहे।

इन दिनों सोशल मीडिया पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे एक निजी चैनल पर साक्षात्कार के दौरान अपने जीवन के संघर्ष के दिनों को याद कर रहे हैं।
साधारण स्कूल में अध्ययन करने के बाद भी उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बल पर मैनेजमेंट और लॉ की डिग्री हासिल की और आज वे मुख्यमंत्री के पद को सुशोभित कर रहे हैं।

जब उनसे पूछा गया कि जहां कई नेताओं के बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं, वहीं उनके बच्चे आज भी गांव में अध्ययन कर रहे हैं। क्या वे नहीं चाहते कि उनके बच्चे शहरों के बड़े स्कूलों में पढ़ें। इस सवाल के जवाब में सीएम धामी कहते हैं कि वे अपने बच्चों को सदैव जमीन से जुड़े रहने की सीख देते हैं। वे कहते हैं कि यह आवश्यक नहीं है कि जो व्यक्ति गांव में रहते हैं, वे उन्नति के सोपानों को नहीं छू सकते हैं। आज जितने भी सफल लोग हैं, वे कहीं न कहीं ग्रामीण पृष्ठभूमि से ही जुड़े हैं और संघर्षपूर्ण जीवन जीकर आज देश-दुनिया में नाम कमा रहे हैं। उन्होंने साधारण से लेकर असाधारण तक की यात्रा की है और जमीन से आसमान को छूने का कार्य किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिन्होंने अपना जीवन गरीबी में बिताया और आज वे देश के उच्च पद पर हैं।

मुख्यमंत्री धामी बताते हैं कि उनके पिता जब सेना में पदस्थ थे तो वे गांव में रहते थे। पिथौरागढ़ के सीमांत क्षेत्र में उनका जन्म हुआ। उस समय पहाड़ी क्षेत्रों में हालात इतने खराब थे कि उन्हें सरकारी प्राथमिक स्कूल में पढ़ने के लिए 5-6 किमी पैदल चलकर जाना पड़ता था। आज की तरह तब वहां सड़कें और अन्य सुविधाएं नहीं थीं। स्कूल में लिखने के लिए वे तख्ती यानी स्लेट का इस्तेमाल करते थे, जिसे स्कूल जाने के पूर्व प्रतिदिन तैयार करना होता था। यहां तक कि बैठने के लिए भी उन्हें टाट की बोरी साथ में ले जानी पड़ती थी।

जिस व्यक्ति में आगे बढ़ने की ललक होती है, वह कठिन हालातों में भी अपनी राह बना ही लेता है। इस प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में जीवन जीने के बाद भी मुख्यमंत्री धामी अपने हौसले के दम पर निरंतर उन्नति कर रहे हैं। उनका जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है। युवाओं को उनसे सीख लेनी चाहिए कि चाहे जीवन में कितनी भी विपरीत परिस्थितियां हो, उनका हमेशा हिम्मत से सामना करना चाहिए।

कम समय में ज्यादा काम करने का मिला अवसर- सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के रूप में जो जिम्मेदारी उन्हें मिली है उसे जन अपेक्षाओं के अनुरूप पूरा करने का उनका सतत प्रयास है। उन्होंने कहा कि वे बोलने पर नहीं बल्कि कर्म … अधिक पढ़े …

सड़कों के विकास के लिए मुख्यमंत्री ने खोला खजाना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के अन्तर्गत निर्मित होने वाली सड़कों के निर्माण के लिये कुल रूपये 18 करोड़ 36 लाख की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा क्षेत्र नरेन्द्रनगर के … अधिक पढ़े …

दून विश्वविद्यालय छू रहा उच्च शिक्षा के नए आयाम

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दून विश्वविद्यालय, केदारपुरम में डॉ. भीमराव अम्बेडकर चेयर स्थापना उद्घाटन कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने डॉ. देवेन्द्र प्रसाद मांझी द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘रीविजिटिंग डॉ. अम्बेडकर-थॉटस एण्ड फिलासफी’’ … अधिक पढ़े …

दो अगस्त से कक्षा नौ से 12 वीं तक के बच्चों के लिए ही खुलेगा स्कूल

राज्य सरकार ने आगामी 2 अगस्त से कक्षा 6 से लेकर कक्षा बारहवीं तक के छात्रों के लिए स्कूलों को खोले जाने का निर्णय में कुछ फेरबदल किया है। आगामी 2 अगस्त को पहले चरण में कक्षा 9 से लेकर … अधिक पढ़ें