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स्थानीय लोगों की नीतियां जलते जंगलों की रोकथाम में अपनाई जानी जरूरीः राजे नेगी

उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में धधक रहे जंगलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय गढवाल महासभा के अध्यक्ष डॉ राजे सिंह नेगी ने गहरी चिंता जताई है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए वर्षो से कार्य कर रहे डॉ नेगी के अनुसार उत्तराखंड के पहाड़ों में आग लगने की घटनाएं हर साल सुर्खियां बटोरती हैं। इससे जहां बड़ी संख्या में पेड़ों, जीव जंतुओं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, वहीं वायु प्रदूषण की समस्या और तपिश क्षेत्र को अपनी जद में ले लेती है।

हाल के वर्षों में जंगल में आग लगने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने केे लिए सामाजिक जागरुकता लाने की जरूरत है ताकि लोगों को पता चल सके कि पर्यावरण, जंगली जीवों और वनस्पतियों के लिए यह कितनी खतरनाक है।

डा नेगी के अनुसार सरकार को फायर कंट्रोल लाइन की सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए। महासभा के अध्यक्ष डॉ नेगी के अनुसार जंगल को संरक्षित करने के लिए जो नियम बने उनमें यह कहीं नहीं बताया गया कि जंगल को बचाने की जिम्मेदारी किसकी है। जंगल बचाने हैं तो लोगों को उससे जोड़ना होगा। जंगल बचाने के लिए स्थानीय लोगों को नीतियों में शामिल करना जरूरी है।