बेकार खाद्य तेल से अब घर बैठे बनाएं बायोडीजल

भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) को बड़ी सफलता मिली है। आइआइपी ने इस्तेमाल किए गए खाद्य तेल से बायोडीजल बनाया शुरू कर दिया है। सुभाष रोड स्थित एक होटल में खाद तेल से बायोडीजल बनने की प्रक्रिया को प्रदर्शित किया गया। वहीं पहली रिपर्पज यूज्ड कुकिंग आयल (रुको) एक्सप्रेस को झडी दिखाकर आइआइपी में लगाए गए प्लाट के लिए रवाना भी किया गया।
आइआइपी, खाद्य सुरक्षा विभाग और गति फाउंडेशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में रुको एक्सप्रेस को हरी झडी दिखाकर खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ. पंकज पाडेय और आइआइपी के निदेशक डॉ. अंजन रे ने रवाना किया। आइआइपी में इस्तेमाल खाद्य तेल से बायोफ्यूल बनाने के लिए 50 लीटर का प्लाट लगा हुआ है, जहां शहर भर से इस्तेमाल खाद्य तेल को बायोफ्यूल में तब्दील किया जा सकेगा। यहां पर कोई आमजन भी 20 रुपये प्रति लीटर की दर से अपने घर में इस्तेमाल खाद्य तेल बेच सकता है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ. पंकज पाडेय ने कहा कि खाद्य तेल का जितनी बार इस्तेमाल किया जाता है, वह स्वास्थ्य के लिए उतना ही खतरनाक होता जाता है और इससे कैंसर जैसे गंभीर रोगों को भी खतरा बना रहता है।
50 लीटर तक के इस्तेमाल खाद्य तेल से बॉयोफ्यूल बनाने का प्लाट एक ट्रक में लगाया जा सकता है। खाद्य सुरक्षा विभाग दून के व्यापारियों के लिए संपर्क नंबर जारी करेगा, जिस पर कॉल करके इस मोबाइल प्लांट को अपने कार्यस्थल पर ही बुलाकर बायोफ्यूल पैदा कर सकते हैं। अक्सर व्यापारियों को इस्तेमाल खाद्य तेल फेंकना पड़ता है। लेकिन इस तेल से बायोफ्यूल बनने से व्यापारियों को लाभ पहुंचेगा। भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के निदेशक डॉ. रंजन रे ने बताया कि तीन बार इस्तेमाल हो चुके खाद्य तेल से बायो डीजल भी बनाया जा सकता है और जेट फ्यूल भी। आइआइपी का उद्देश्य है कि देश के कम से कम 10 प्रतिशत गावों में इस्तेमाल किए जा चुके खाद्य तेल से बायोडीजल बनाने का प्लाट लगाया जाए। आइआइपी 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से इस्तेमाल तेल खरीदेगा। इस तेल का 90 प्रतिशत हिस्सा बायोडीजल बनाया जा सकेगा। आइआइपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीरज आत्रे ने इस मौके पर तेल से बायोडीजल बनाने का प्रयोग करके भी दिखाया।
फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने बताया कि हर व्यक्ति एक महीने में लगभग डेढ़ लीटर खाद्य तेल इस्तेमाल करता है। वर्ष 2017 में देश में कुल 2,300 करोड़ टन इस्तेमाल किया गया था और 2030 तक इसके 3,400 टन प्रतिवर्ष पहुंचने की संभावना है। हर व्यक्ति के हिस्से का इस्तेमाल खाद्य तेल जमा किया जाए तो देश बायो डीजल के उत्पादन में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो जाएगा।