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श्रीराम का जीवन एक आदर्श पूर्ण चरित्रः स्वामी चिदानंद सरस्वती

परमार्थ निकेतन में तीसरे दिन भी रामकथा का श्रवण श्रद्धालुओं ने किया। कथा में पहुंचे परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पतित पावन, मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन एक आदर्श पूर्ण चरित्र है। वे धर्म के साक्षात दिव्य स्वरूप हैं। श्रीराम अनन्त और अखंड प्रेम के प्रतीक हैं। चाहे शबरी हो, या केवट हो, गीधराज हो या निषादराज हो, सभी को उन्होंने प्रेम से गले लगाया और भावपूर्वक झूठे बेर भी खाए।

भगवान राम ने माता-पिता की आज्ञा पालन करने के लिए सर्वस्व त्याग कर बिना किसी शिकायत के वनगमन किया। कथावाचक राधाकृष्ण ने कहा कि भगवान श्रीराम की गौरव गाथा संघर्ष और साहस का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है। इस दौरान सभी ने विश्व ग्लोबल पर वाटर सेरेमनी कर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।