जल्द आयेगा बीएस-6 पेट्रोल, जानिए इसके फायदे

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से देश के 13 मेट्रो शहरों में माह अप्रैल 2019 से बीएस-6 फ्यूल उपलब्ध कराने पर विचार करने को कहा है। इससे पहले भी बीएस-6 पेट्रोल-डीजल उपलब्ध करवाने के बारे में कहा गया है।

आखिर ये बीएस-6 क्या है?
बीएस का अर्थ भारत स्टेज है और यह वायु प्रदूषण फैलाने वाले मोटर गाड़ियों सहित सभी इंजन वाले उपकरणों के लिए मानक है। बताया जा रहा है कि बीएस-6 ग्रेड के ईंधन से प्रदूषण में कमी होगी।

बीएस-6 नियम आने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। बीएस-6 फ्यूल आने से पर्टिकुलेट मैटर में इनकी 20 से 40 एमजीसीएम तक ही हिस्सेदारी रहेगी।

जानकारी के अनुसार बीएस-6 फ्यूल से सल्फर की मात्रा बीएस-4 से 5 गुना तक कम होगी। यह काफी क्लीन फ्यूल होता है। इस फ्यूल के इस्तेमाल से सड़कों पर चल रही पुरानी गाड़ियों में भी फैल रहा प्रदूषण कम होगा। बीएस-6 गाड़ियों में भी एडवांस एमिशन कंट्रोल सिस्टम फिट होगा। हालांकि इसके लिए गाड़ियों के ईंजन को भी इसके अनुसार ही होना चाहिए।

क्या हैं बीएस (भारत चरण) के नॉर्म्स
वायु प्रदूषण फैलाने वाले मोटर गाड़ियों सहित सभी इंजन वाले उपकरणों के लिए भारत चरण उत्सर्जन मानक (बीएस) की शुरुआत केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में की थी। इसके विभिन्न मानदंडों को समय और मानकों के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर लाया जाता है। भारत चरण (बीएस) मानदंड यूरोपीय नियमों पर आधारित हैं।

कितना महंगा होगा
वर्ष 2020 की डेडलाइन के मुताबिक ज्यादा स्वच्छ पेट्रोल-डीजल बनाने के लिए ऑयल रिफाइनरियों को 28000 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा। हालांकि, फ्यूल कितना महंगा होगा या नहीं होगा। यह उस वक्त क्रूड (कच्चा तेल) की कीमतों पर निर्भर करेगा। आम आदमी पर सीधा असर ये होगा कि अब उन्हें किसी भी कंपनी का एंट्री मॉडल पहले की तुलना में महंगा मिलेगा।
वहीं स्वास्थ्य के तौर पर ये गाड़ियां पहले की अपेक्षा बेहतर साबित होंगी। हालांकि सरकार का लक्ष्य बीएस-6 मॉडल को देश में लागू करवाना है, जिसमें अभी वक्त लगेगा।