बनखंडी बेदखल मामलाः 500 रूपए वर्ग गज के हिसाब से देनी होगी राशि, तभी मिलेगी आजीवन पट्टा

श्री भरत मंदिर ने बनखंडी में बसे करीब पांच हजार लोगों को न हटाने का फैसला लिया है। मगर, इसकी एवज में कुछ औपचारिक शर्तें भी रखी है। शर्तों के मुताबिक बनखंडी में रह रहे लोगों को बसी जमीनों का आजीवन पट्टा दिया जाएगा। पट्टे की एवज में सक्षम लोग 500 रुपए वर्ग गज के हिसाब से शुल्क अदा करेंगे। इसके अलावा पट्टाधारकों को 10 रुपए सालाना शुल्क अदा करना होगा।

विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने लोगों से राय मशविरा करके प्रस्ताव श्री भरत मंदिर के सामने रखा। गरीबों को जमीन मुफ्त में दान का प्रस्ताव भी था, जिसे श्री भरत मंदिर की ओर से स्वीकार कर लिया गया। समझौते के बाद श्रीभरत मंदिर की ओर से हर्षवर्धन शर्मा ने कहा कि बनखंडी को उजाड़ने की मंशा कभी नहीं रही। यही वजह है कि रामलीला की भूमि को भी दान दे दिया गया है। प्रस्ताव पर अमल के लिए दो माह का समय दिया गया है।

यह भी फैसला किया गया है कि भरत मंदिर की 19 एकड़ जमीन पर जो लोग बस चुके है, उन्हें बेघर नहीं किया जाएगा। ट्रस्ट को जमीन बेचने का अधिकार नहीं होता, लिहाजा लोगों को जमीनों का पट्टा होगा। श्री भरत मंदिर ने यह भी साफ किया कि किसी भी निवासी पर जबरन निर्णय नहीं थोपा जाएगा। पट्टे की एवज में लोगों को 10 रुपए सालाना शुल्क देना होगा। रात करीब नौ बजे समझौता होने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली।

इससे पहले कोर्ट के आदेशों के मुताबिक शुक्रवार को बनखंडी में बेदखली की कार्रवाई होनी थी। इन्हीं आशंकाओं और भय के चलते लोग सिफारिशों में जुटे रहे। मेयर अनिता ममगाई बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी मिलीं और उन्हें पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। मेयर के मुताबिक मुख्यमंत्री ने लोगों से धैर्य बनाए रखने की अपील की है। समझौते के दौरान पूर्व पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा, बार एसोसिएशन अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह सजवाण सहित शहर के गणमान्य लोग और बनखंडी निवासी उपस्थित रहे।

समझौता न मानने वालों के खिलाफ दायर होगा अलग से मामला
श्री भरत मंदिर ने यह भी फैसला लिया है कि जो लोग मालिकाना हक के फैसले को नहीं मानेंगे, उनके खिलाफ अलग से मामला दायर किया जाएगा। इसी के तहत बृहस्पतिवार को कोर्ट में भरत मंदिर की ओर से बनखंडीवासियों को बेदखल न करने का प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाएगा। कोर्ट से अनुमति भी मांगी जाएगी कि जो लोग समझौते के दायरे में नहीं आ रहे है, उनके खिलाफ नए सिरे से मुकदमा दायर करने की मंजूरी दी जाए। समझौता वार्ता के दौरान कई लोगों ने सवाल उठाया कि जो लोग अपनी जमीन बेचना चाहते हैं, भविष्य में उन्हें क्या दिक्कतें हो सकती हैं। इस पर भरत मंदिर की ओर से हर्षवर्धन शर्मा ने बताया कि यदि कोई निवासी अपना घर या भूूखंड भविष्य में बेचना चाहता है तो उसे ट्रस्ट की ओर से एनओसी की कोई जरूरत नहीं होगी। अलबत्ता, बेची गई जमीन पर सालाना शुल्क 10 रुपए की बजाए 20 रुपए देय होगा।