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मुख्यमंत्री ने प्रदान किया साहित्यकारों को प्रतिष्ठित उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में आयोजित उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा आयोजित साहित्य गौरव सम्मान समारोह तथा लोक भाषा सम्मेलन में 9 साहित्यकारों को उत्तराखण्ड गौरव सम्मान से सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि सम्मानित हुये साहित्यकार अपनी साहित्यिक कृतियों से हमारी लोक भाषा का मान सम्मान बढ़ाते रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी वर्षों में भाषा संस्थान अपनी साहित्यिक एवं भाषाई गतिविधियों को व्यापक स्तर प्रदान करेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा जिन साहित्यकारों को प्रतिष्ठित उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया उनमें संतोष कुमार निवारी को चन्द्रकुंवर बर्त्वाल पुरस्कार, अमृता पाण्डे को शैलेश मटियानी पुरस्कार, प्रकाश चन्द्र तिवारी को डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार, दामोदर जोशी ‘देवांशु’ को भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार, राजेन्द्र सिंह बोरा उर्फ त्रिभुवन गिरी को गुमानी पंत पुरस्कार, नरेन्द्र कठैत को भजन सिंह ‘सिंह’ पुरस्कार, महावीर रवांल्टा को गोविन्द चातक पुरस्कार, गुरूदीप को सरदार पूर्ण सिंह पुरस्कार एवं राजेश आनन्द ‘असीर’ को प्रो. उन्नवान चिश्ती पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सभी सम्मानित साहित्यकारों को अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र एवं 1 लाख की सम्मान राशि प्रदान की गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से प्रदेश में स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली बोलियों व उनमें रचे जा रहे साहित्य को भी प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश के अनेक साहित्यकारों ने हिन्दी को विश्व पटल पर स्थापित करने में महान योगदान दिया है। हिंदी एक उदार, ग्रहणशील और सहिष्णु भाषा तो है ही, ये भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका भी है। यह हमारी परंपराओं और हमारी विरासत का बोध कराने वाला एक सतत अनुष्ठान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हिन्दी का विकास किसी अन्य भाषा या बोली की कीमत पर नहीं हो रहा है बल्कि आज भारत की सारी भाषाएं एक साथ आगे बढ़ रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बच्चों को शुरूआती शिक्षा मातृभाषा में देने का प्राविधान किया गया है। इससे यह उम्मीद जगती हैं कि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय प्रदेश में हिन्दी के साथ-साथ गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी आदि बोलियों का भी विकास होगा। हमारे यहां गढ़वाली, कुमाउनी और जौनसारी बोलियां बोली जाती है परन्तु हमारे प्रदेश का हिन्दी के साथ गहरा लगाव है। उन्होंने इसे सुखद संयोग बताया कि साहित्य गौरव सम्मान पाने वाले साहित्यकारों में वे साहित्यकार भी शामिल हैं जो अनेक विशिष्ट बोलियों में रचना कर्म कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो समाज अपनी भाषा और बोलियों का सम्मान नहीं करता वह अपनी प्रतिष्ठा गवां देता है। अपनी भाषा व बोलियों को बचाने और उन्हें बढ़ाने के कार्य में आम लोगों की व्यापक सहभागिता की जरूरत है। इस महत्वपूर्ण कार्य को हम सभी को अपने घर के भीतर से आरम्भ करना होगा। विशेष रूप से बच्चों के साथ संवाद करते समय अपनी मातृभाषा और आम बोलियों का प्रयोग किया जाना चाहिए। वे स्वयं अपने बच्चों को अपनी भाषा व बोली सिखाने का प्रयास कर रहे है। इसमें सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा। हमारी वैचारिक निष्ठा हिन्दी के प्रति रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस दिशा में प्रभावी प्रयास किये जा रहे है। आज आधिकारिक मंचों से लेकर शिक्षा तक में हिंदी को अभूतपूर्व स्थान दिया जा रहा है। मेडिकल और इंजिनयरिंग जैसे विषयों की पढ़ाई अब हिंदी में होना कोई स्वप्न नहीं है जबकि कुछ वर्ष पूर्व तक ये महज एक कल्पना थी। हिंदी के गौरव को बनाए रखना हम सभी का दायित्व है विश्वास व्यक्त किया कि हमारी युवा पीढ़ी हिंदी को एक नवीन स्तर देने का कार्य करेगी। हिंदी के विकास के लिए जब हम सभी मिलकर कार्य करेंगे, तभी हिन्दी को अपेक्षित सम्मान प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से लोक भाषाओं पर विद्वान साहित्यकारों के मध्य विचार-विमर्श किया जाएगा। जिससे हिंदी व अन्य लोक भाषाओं का संरक्षण, विकास और उत्थान हो सके। यहां प्राप्त साहित्यकारों के महत्वपूर्ण सुझावों को संस्थान अपनी भविष्य की कार्ययोजना में अवश्य सम्मिलित करेगा। अपनी स्थापना के बाद से उत्तराखण्ड भाषा संस्थान ने कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। अब सरकार ने हिन्दी अकादमी, पंजाबी अकादमी, उर्दू अकादमी और लोक भाषा बोली अकादमी को एक छत के नीचे लाते हुए उत्तराखण्ड भाषा संस्थान को पुर्नगठित किया है। हमारी सरकार भाषा संस्थान की स्वायत्तता को बरकरार रखते हुए इसके विकास के लिए हर संभव कार्य करेगी। उन्होंने साहित्यकारों, भाषाविदों, शोधार्थियों से अनुरोध किया कि वे भाषा संस्थान के साथ मिलकर भाषाई विकास के लिए कार्य करें और इस संस्थान को देश के प्रतिष्ठित संस्थान के तौर पर विकसित करने के लिए मिलकर प्रयास करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड शैक्षिक व सांस्कृतिक रूप से प्रबुद्ध लोगों की भूमि है इसी के अनुरूप हमारे भाषा संस्थान की पहचान भी पूरे देश में होनी चाहिए। इसके लिये सामूहिक सहयोग एवं प्रयासों की भी उन्होंने जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखण्ड को देश के अग्रणी राज्यों में सम्मिलित करने के लिये विकल्प रहित संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे है। सभी संचालित विकास योजनाओं का लाभ समय पर सभी को मिले इसका भी हमारा संकल्प है।
मुख्यमंत्री ने अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र द्वारा उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता कानून बनाये जाने की दिशा में राज्य सरकार के सकारात्मक प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड सम्पूर्ण देश को शुद्ध जल, हवा व पर्यावरण प्रदान करने वाला प्रदेश है। यह ऋषियों मुनियों, तपस्वियों, महान साहित्यकारों व प्रबुद्धजनों की भूमि रही है। ऋषियों मुनियों द्वारा मंत्रो व ऋचाओं के जो शब्द यहां रचे गये वे कभी समाप्त नहीं होते। उन्ही की ऊर्जा का प्रतिफल है कि हमने इस दिशा में पहल की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता के लिये हमने 12 फरवरी, 2022 को जनता से वादा किया था कि हम समान नागरिक संहिता लायेंगे। उत्तराखण्ड देवभूमि है, गंगा-यमुना का प्रदेश है, वनों पर्वतों से आच्छादित है। दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा है। धर्म, अध्यात्म एवं संस्कृति का केन्द्र है। राज्य में कोई भी किसी पंथ, समुदाय, धर्म, जाति का हो सबके लिये एक समान कानून हो, इसके प्रयास किये गये है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं में विद्धान लोग थे उन्होंने इसमें इसका प्राविधान किया है। उत्तराखण्ड की जनता ने किसी राजनैतिक दल को लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का अवसर प्रदान कर, इस पर 2022 में अपनी मुहर लगाई। समान नागरिक संहिता लागू करने के लिये गठित समिति द्वारा डेढ़ साल में 02 लाख से भी ज्यादा लोगों के सुझाव, विचार लिये। सभी संगठनों, संस्थाओं, स्टेट होल्डरों से वार्ताकर इसका ड्राफ्ट लगभग तैयार किया जा रहा है। हमें जैसे ही यह ड्राफ्ट मिलेगा उसे देवभूमि में लागू करने का कार्य करेंगे। देश में एक विधान एक निशान एक प्रधान के साथ एक कानून की दिशा में हम आगे बढेंगे। इस दिशा में देश के अन्य राज्य भी आगे आयेंगे।
मुख्यमंत्री ोंने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने हिंदी की महानता से प्रभावित होकर कहा था कि हिंदी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है। एक भाषा के लिए लोकप्रियता और स्वीकारिता का इस से बड़ा मापक क्या होगा कि, भारत जैसे विशाल देश में अनेकों क्षेत्रीय भाषाएं और बोलियां होने के बावजूद हिन्दी किसी सदानीरा नदी की भांति स्वछंदता से प्रवाहित होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की विभिन्न भाषाओं के साथ सामंजस्य बिठा लेने की जितनी प्रबल शक्ति हिंदी में है उतनी किसी दूसरी भाषा में नहीं है। आज विश्व, हिंदी के सामर्थ को, इसके महात्म्य को पहचान रहा है और दुनिया के 100 से अधिक देशों में हिन्दी की स्वरलहरियां गूंज रही हैं। वर्ष 1977 में संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिवेशन में जब भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हिंदी में भाषण दिया था तो वो हम सभी के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था।
मुख्यमंत्री ने अटल की कविता ‘गूंजी हिन्दी विश्व में, स्वप्न हुआ साकार, राष्ट्र संघ के मंच से, हिन्दी का जयकार का उल्लेख कर कहा कि अटल जी हिंदी के बड़े उपासक थे और उन्होंने आजीवन इस भाषा की सेवा करने, इसको समृद्ध बनाने का प्रयास किया। आज हमें गर्व है कि उस महान हुतात्मा के दिखाए मार्ग पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आगे बढ़ कर, हिंदी का वैश्विक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। वर्तमान में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी विश्व भर में हिन्दी का माथा ऊँचा कर रहे हैं। भारत रत्न आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ही दूसरे ऐसे नेता हैं जो वैश्विक संस्थाओं को हिन्दी में सम्बोधित करते हैं।

संविधान की आठवीं सूची में राज्य की समृद्ध भाषा बोलियों को स्थान मिले इसके भी किये जायेंगे प्रयास-भाषा मंत्री
इस अवसर पर भाषा विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि साहित्य सृजन, समृद्ध लोक संस्कृति उत्तराखण्ड की परम्परा है। इस धरती ने साहित्यकारों को साहित्य सृजन की प्रेरणा देने का कार्य किया है। यहां का शांत एवं आध्यात्मिक वातावरण साहित्य एवं शिक्षा के लिये अनुकूल रहा है। राज्य में लोक भाषाओं को बढावा देने के लिये स्कूलों में इसे अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि बढ़ते शहरीकरण के इस दौर में लोगों को अपनी मातृभाषा के प्रति लगाव कुछ कम हुआ है। इसमें इस लगाव को बढावा देने के प्रयास करने होंगे। यह हम सभी के सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि संविधान की आठवीं सूची में राज्य की समृद्ध भाषा बोलियों को स्थान मिले इसके भी प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड भाषा संस्थान नये प्रयोग एवं सुधारात्मक प्रयासों से विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगा। उन्होंने कहा कि अपनी भाषा बोली व संस्कृति को जिन्दा रखना बडी बात है।

उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान भाषा एवं साहित्य सृजन को बढ़ावा देने की दिशा में है बड़ी पहल-प्रो. गिरीश्वर मिश्र
अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि भाषा के कारण ही हमारा अस्तित्व है। भाषा का हमारे जीवन में दखल रहता है।जीवन का स्पंदन है भाषा। उन्होंने कहा कि आज के दौर में भाषा के प्रति जो गम्भीरता हमारे व्यवहार में होनी चाहिए, उसमें कमी आ रही है। हमें इस दिशा में सोचना होगा। उन्होंने उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान की पहल की सराहना करते हुये इसे भाषा एवं साहित्य सृजन को बढ़ावा देने की दिशा में बडी पहल बताया। उन्होंने कहा कि हमारे मनीषियों ने किसी भी शुभ कार्य में मंगलाचरण की परम्परा को प्रमुखता दी है, इस प्रकार सबके मंगल की कामना हमारी परम्परा है। भाषा जोड़ने का कार्य तो करती ही है, अनेकता में एकता के भाव को भी इससे बढ़ावा मिलता है। भाषा मन, विचार और कर्म को एक साथ चलाने का भी माध्यम है। प्रो. मिश्र ने उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता कानून बनाए जाने के लिये मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों की सराहना करते हुये इसे सबको साथ लेकर चलने की पहल बताया।

मनुष्य और जीवों में शब्द का ही अंतर है। मनुष्य अकेली प्रजाति है जो कल्पना कर सकती है-अनिल रतूड़ी
साहित्यकार एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने इस अवसर पर भाषा साहित्य एवं संस्कृति के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं पर विचार व्यक्त करते हुये कहा कि शब्द को ब्रह्म तथा ओम् शब्द को सृष्टि के अन्धकार दूर करने वाला बताया गया है। शब्द से ही साहित्य और भाषा का विकास हुआ है। मनुष्य और जीवों में शब्द का ही अंतर है। मनुष्य अकेली प्रजाति है जो कल्पना कर सकती है। उन्होंने कहा कि कुमाऊँ एवं गढवाल राजवंशो द्वारा अपने शासनकाल में कुमाऊं एवं गढवाली को अपनी राजभाषा बनाया गया था। इसके कई प्रमाण मिलते हैं। उन्होंने अपनी भाषा, बोली और संस्कृति को बढावा देने के प्रयासों की भी जरूरत बतायी। इससे राज्य निर्माण की अवधारणा साकार होने के साथ ही सांस्कृतिक मूल्यों के बेहतर संरक्षण में भी मदद मिलेगी।

उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की निदेशक स्वाति एस. भदौरिया ने कहा कि उत्तराखंड भाषा संस्थान राज्य सरकार का एक ऐसा प्रयास है जिसके माध्यम से उत्तराखंड में भाषाओं के संरक्षण, उनके विस्तार और प्रोत्साहन संबंधी कार्यों को संपादित किया जा रहा है। अपने स्थापना के बाद से भाषा संस्थान ने विभिन्न शोध परियोजनाओं, भाषा एवं साहित्यिक संगोष्ठियों तथा सम्मान कार्यक्रमों के माध्यम से साहित्यकारों और जनसामान्य तक पहुंचने का प्रयास किया है।
उत्तराखंड राज्य अनेक भाषाओं, उपभाषाओं और बोलियों का प्रयोग करने वाला ऐसा क्षेत्र है जहां विपुल मात्रा में साहित्य रचा गया है और वर्तमान में भी रखा जा रहा है। उपर्युक्त के दृष्टिगत भाषा संस्थान सरकार की नीतियों के अनुरूप विभिन्न भाषाओं, उपभाषाओं और बोलियों के साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए सतत रूप से प्रयासरत है। इस अवसर पर विधायक खजान दास ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में विधायक मोहन सिंह बिष्ट, प्रमोद नैनवाल, सचिव भाषा विनोद प्रसाद रतूड़ी सहित बडी संख्या में साहित्यकार एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार गणेश खुगशाल गणी ने किया।

मोदी सरकार के 9 वर्ष जनता को समर्पित रहे, उनकी हर योजना के केन्द्र बिन्दु में आम जनमानस रहा

क्षेत्रीय विधायक व कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के 9 वर्ष पूर्ण होने पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री के 9 साल के कार्यकाल को सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण … अधिक पढ़े …

जी-20 को सफल बनाने पर कैबिनेट मंत्री अग्रवाल ने किया सम्मानित

वित्त एवं संदीय कार्य मंत्री डॉ0 प्रेम चन्द अग्रवाल ने विधान सभा स्थित कार्यालय कक्ष में जी-20 में सम्मिलित अधिकारियों तथा कर्मचारियों को सम्मानित किया। मंत्री ने जी-20 में सम्मिलित अधिकारियों तथा कर्मचारियों को धन्यवाद करते हुए कहा कि आप … अधिक पढ़े …

समान नागरिक संहिता की रूपरेखा तैयार, धामी सरकार का मास्टर स्ट्रोक

उत्‍तराखंड सरकार द्वारा लाए जा रहे समान नागरिक संहिता की रूपरेखा तैयार हो चुकी है। इस मसौदे के तहत लड़कियों के लिए शादी की उम्र को बढ़ाकर 18 से 21 साल करने की शिफारिश रखी गई है। इसके अलावा राज्‍य … अधिक पढ़े …

जी20 की गंगा आरती में विदेशी मेहमानों को लाने के लिए डा़ अग्रवाल का हुआ जोरदार स्वागत

तीर्थ नगरी में जी-20 के तहत गंगा आरती को सकुशल संपन्न कराने तथा ऋषिकेश का मान देश ही नहीं विदेशों में भी बढ़ाने पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित भाजपा कार्यकर्ताओं ने क्षेत्रीय विधायक व वित्त व शहरी विकास, आवास मंत्री डॉ … read more

किसानों की आय बढ़ाने को राज्य में सरकार के कार्यों की किसानों ने की सराहना

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य में किये जा रहे कारगर प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सराहना … read more

सीएम से मिले नेता प्रतिपक्ष, चीनी मिल लीज रेंट पर न दिए जाने का किया अनुरोध

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के नेतृत्व में बाजपुर के किसान जनप्रतिनिधि व चीनी मिल के श्रमिकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री से बाजपुर चीनी मिल की सह … read more

विदेशी मेहमानों ने त्रिवेणी घाट में की गंगा आरती

ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट में जी-20 के मेहमानों द्वारा गंगा आरती में प्रतिभाग किया गया। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, अन्य जनप्रतिनिधियों तथा स्थानीय लोगों द्वारा गर्मजोशी से विदेशी मेहमानों का स्वागत किया गया। गंगा आरती और … अधिक पढ़े …

मुख्यमंत्री ने विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को वितरित किये सहायता के चेक

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को नेहरू स्टेडियम रूड़की में आयोजित भारत सरकार व राज्य सरकार की विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार … अधिक पढ़े …

बधाई के साथ स्पष्ट निर्देश त्यौहार में माहौल बिगाड़ने की ना कोशिश हो

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों विशेष तौर पर राज्य के मुस्लिम नागरिकों को ईद-उल-जुहा की बधाई एवं शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर जारी अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि खुशियों का यह त्यौहार त्याग, बलिदान और आपसी … अधिक पढ़े …