अपनी पत्नी से जबरन वेश्यावृत्ति कराने तथा दहेज के लिए उत्पीड़न करने का दोष साबित होने पर आरोपी पति को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मनीष मिश्रा की अदालत ने आठ साल की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी को वेश्यावृत्ति कराने पर सात साल, जबकि दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर एक साल की सजा सुनाई है।
रायवाला निवासी एक महिला ने थाना रायवाला में 12 मार्च 2011 को तहरीर देकर अपने पति के खिलाफ जबरन वेश्यावृत्ति कराने, दहेज के लिए उत्पीड़न करने, मारपीट, गाली गलौच, जान से मारने की धमकी देने तथा कमरे में बंधक बनाकर रखने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था।
पीड़ित महिला ने बताया था कि 25 अप्रैल 2010 को उसकी शादी सिविल लाइंस, लुधियाना पंजाब के रहने वाले व्यक्ति से हुई थी। शादी के बाद से ही उसका पति और ससुराल पक्ष के लोग उससे रुपयों की मांग करने लगे। इसके बाद दहेज न लाने पर गाली गलौच, मारपीट, जान से मारने की धमकी और कमरे में बंधक बनाकर रखने लगे। महिला ने पति पर जबरन वेश्यावृत्ति कराने का भी आरोप लगाया था। बृहस्पतिवार को न्यायाधीश मनीष मिश्रा ने आरोपी को पत्नी से जबरन वेश्यावृत्ति कराने व दहेज उत्पीड़न का दोषी पाया।
शुक्रवार दोपहर में न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए दोषी को वेश्यावृत्ति कराने पर सात साल का कठोर कारावास तथा 10 हजार रुपये का अर्थ दंड लगाया। अर्थदंड न देने की अवस्था में दोषी को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। साथ ही न्यायालय ने दहेज के लिए उत्पीड़न करने में एक वर्ष की सजा और पांच हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड न अदा करने पर दोषी को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।