तीर्थनगरी के गंगातट में वर्षों से चन्द्रेश्वर नगर के एक गंदे नाले का दूषित पानी मिलने के कारण गंगा का जल आचमन लायक नहीं है। एक ऐसी ही वीडियों के वायरल होने से तीर्थनगरी के संत समाज ने इस पर गंभीरता से विचार किया। अंततः परमार्थ निकेतन के सौजन्य से निर्मित सीवरेज ड्रेन री-मीडिएशन प्रोजेक्ट के द्वारा गंदे नाला का दूषित पानी स्वच्छ होकर गंगा नदी में मिल रहा है। वह भी सिर्फ पांच दिन में। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस प्रोजेक्ट का उद्धाटन करते हुये कहा कि 2020 तक नदियों को स्वच्छ बनाने के लिये सरकार प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परमार्थ निकेतन द्वारा सीवरेज के पानी को स्वच्छ बनाने के लिए उपयोग की जा रही हालैंड से आयातित तकनीक कम खर्च पर पानी को स्वच्छ बनाने में सक्षम है। इस तकनीक का उपयोग प्रायोगिक तौर पर चंद्रभागा नदी के माध्यम से गंगा नदी में मिलने वाले सीवरेज को साफ करने में किया जाएगा। यह तकनीक कारगर साबित होने पर इसे गंगा नदी से जुड़े अन्य सीवरों में भी स्थापित किया जाएगा। जिन नदियों को पार करने में बदबू के कारण लोगों को परेशानी होती थी। वर्ष 2020 तक इन्हें इतना स्वच्छ कर दिया जाएगा कि उन स्थानों पर सेल्फी खिंचवा सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोमुख से समुद्र तट पर 2500 किलोमीटर लंबी विश्व प्रसिद्ध नदी गंगा को स्वच्छ बनाने में आमजन के साथ अन्य संस्थाओं को भी आगे आना होगा। ताकि गंगा नदी को स्वच्छ व साफ रखा जा सके। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश विश्व योग की राजधानी के रूप में स्थापित हुआ है, जो कि हमारे राज्य व देश के लिए गौरव की बात है।
विश्व प्रसिद्धि रखने वाले इस सुंदर शहर को स्वच्छ रखना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है, जिसमें विभिन्न संस्थाओं का सहयोग अपेक्षित है। स्वच्छ गंगा की स्वच्छता व साफ सफाई से जुड़े अधिकारियों के कार्य की निरंतर समीक्षा की जाएगी। इस अवसर पर स्वामी चिदानंद महाराज ने कहा कि गंगा इस देश की धरोहर है। इस को स्वच्छ रखना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली निवासी विकास द्वारा एक वीडियों पिछले दिनों वायरल हुयी थी। जिसे हमने संज्ञान में लेकर गंगा पर गिर रहे इस नाले के दूषित पानी को स्वच्छ कर गंगा में मिलाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि हम सीवर प्वाइंट को सेल्फी प्वाइंट बनाएंगे और बुधवार को प्रोजेक्ट के उद्धाटन अवसर मुख्यमंत्री ने सेल्फी लेकर इसका शुभारंभ किया।