संसदीय स्थायी समिति ने सरकार की स्कूलों में आठवीं तक फेल न करने वाली नीति में बदलाव को स्वीकार कर लिया है। अब सरकार इस बदलाव को मार्च 2019 से लागू करने की तैयारी में जुट जायेगी। इस बदलाव के बाद 2019 से पांचवीं और आठवीं की परीक्षा हो पाएगी और पढ़ाई में बेहद कमजोर को फेल भी किया जा सकेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय का मानना है कि इस बदलाव के बाद स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। क्योंकि मौजूदा समय में आठवीं तक छात्रों को फेल नहीं करने की नीति से शैक्षणिक गुणवत्ता में पहले के मुकाबले गिरावट आई है। हालांकि चार राज्य अभी भी परीक्षा में बदलाव की इस नीति के खिलाफ है, इनमें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और तेलंगाना शामिल हैं। इन राज्यों ने पिछले दिनों कैब (सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन) की बैठक में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। यही वजह है कि सरकार ने परीक्षा में बदलाव की नीति में राज्यों को इस मामले में पूर्ण स्वायत्ता दे दी है।
मंत्रलय का मानना है कि वह राज्यों के बीच इस मसले पर कोई टकराव नहीं चाहता। यही वजह है कि उन्होंने राज्यों को इस मामले में अपने स्तर पर फैसला करने को कहा है। हालांकि नए नियमों के तहत जिन 25 राज्यों ने इस बदलाव का समर्थन किया है, वहां मार्च 2019 से पांचवी और आठवीं की परीक्षा होगी और इनमें कमजोर छात्रों को फेल भी किया जाएगा।
गौरतलब है कि संप्रग सरकार ने पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों के स्कूल छोड़ने की बढ़ती संख्या को देखते हुए आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति बनाई थी। इसके चलते प्रत्येक छात्र आठवीं तक पास होता चला जाता है, जबकि नौवीं में वह फेल हो जाता है। ऐसे में नौवीं में अचानक छात्रों के फेल होने की संख्या बढ़ गई थी।