पूरे विश्व भर में मशहूर उत्तराखंड की घाटी में बसी फूलों की घाटी पर्यटकों के लिये खुल गयी है। फूलों की घाटी देश के साथ ही विदेशी पर्यटकों की पंसद है। यहां आकर पर्यटक यही के होकर रहना पंसद करते है। विदित हो कि फूलों की घाटी को वर्ष 2005 में यूनेस्कों ने विश्व धरोहर घोषित किया था।
फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते है। 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी में जैव विविधता का खजाना है। फूलों की घाटी में हर 15 दिनों में अलग रंग के फूल खिलते हैं। इसलिए इसलिए फूलों की घाटी में पर्यटक बार-बार आने आवाजाही करते हैं। फूलों की घाटी को दो अक्टूबर 2005 को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया था।
फूलों की घाटी की खोज 1931 में कॉमेट पर्वतारोहण के बाद ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रेक स्मिथ ने की थी। वे घाटी की सौन्दर्य से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने ही इस पर वैली ऑफ फ्लावर किताब लिख कर फूलों की घाटी का नामकरण किया। फूलों की घाटी नेशनल पार्क के वन क्षेत्राधिकारी वृजमोहन भारती ने बताया कि फूलों की घाटी पयर्टकों के लिए खोल दी गई है।
फूलों की घाटी के लिए घाघरिया से तीन किमी पैदल चलकर पहुंचा जा सकता है। फूलों की घाटी यात्रा का बेस केंप घाघरिया है। गोविंदघाट से 14 किमी पैदल चलकर घांघरिया पहुंचा जा सकता है। इसके बाद भी लोगों को फूलों की घाटी से उम्मीदें हैं। आपदा में फूलों की घाटी का पैदल रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया था। वर्ष 2017 में फूलो की घाटी मे रिकार्ड तोड़ पर्यटक आए थे। वन विभाग को पर्यटको की अच्छी खासी आमद बढ़ने से आय में इजाफा हुआ था।