सरकारी पैसों को किस तरह सरकारी कर्मचारी आपसी मिलीभगत के चलते चुना लगाते है। इसका खुलासा सूचना के अधिकार से हुआ है। नैनीताल में कुछ किसानों व पटवारी की मिलीभगत से बैंक में जमीन के झूठे दस्तावेज पेश कर उसके एवज में ऋण लिया गया।
नैनीताल जिले के देवल पट्टी क्षेत्र के कुछ किसानों ने राजस्व विभाग के पटवारी से मिलकर बैंकों में झूठे दस्तावेज पेश कर लाखों रुपये का ऋण लिया। जिनमें से किसी के पास खतौनी में दर्ज आठ नाली जमीन को दस गुना तक दिखाया गया तो किसी भूमिहीन को कई नाली जमीन का मालिक बना डाला।
पहाड़ों पर जमीन की जो नाप (क्षेत्रफल) होती है उसको नाली बोला जाता है जिस तरीके से मैदानी क्षेत्र में में बीघा और एकड़ होती है। यही नहीं एक ही प्रॉपर्टी से तीन अलग-अलग बैंकों से ऋण भी लिया गया, जबकि नियमानुसार एक बार मॉर्गज (बंधक) प्रॉपर्टी पर एक ही बार ऋण लिया जा सकता है, जबकि आरटीआई में यह भी खुलासा हुआ है जिसमें लगभग 43 लोगों ने फर्जी तरीके से ऋण लिए हैं।
मृतक व्यक्ति के नाम पर क्लेम
आरटीआई से यह भी खुलासा हुआ है कि देवीदत्त नाम के एक मृत व्यक्ति के नाम से भी बैंकों से ऋण लिया गया है और दो बैंकों से मृतक देवी दत्त के नाम से किसान मृतक बीमा क्लेम भी ले लिया गया।
आरटीआई कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह का कहना है कि उन्होंने इस मामले पर बड़ौदा बैंक, द नैनीताल बैंक और नैनीताल डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक के अधिकारियों को इस बाबत जानकारी दी, लेकिन अभी तक इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
इस पूरे मामले पर कुमाऊं के कमिश्नर ने संज्ञान लेते हुए पूरे घोटाले की जांच करने की बात कही है, उनके मुताबिक जिलाधिकारी से मामले की जानकारी लेकर जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।