पिता के वचन निभाने श्रीराम चले वनवास

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के वनवास जाने का दृश्य देख भाव-विभोर हो उठे दर्शक
ऋषिकेश।
‘रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाई’ को चरितार्थ करती बनखंडी की रामलीला। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने पिता के वचन निभाने के लिए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं।
श्रीरामलीला कमेटी बनखंडी की ओर से आयोजित रामलीला के पांचवें दिन यह दृश्य देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। इससे पहले रानी केकैयी ने राजा दशरथ से दो वचन निभाने को कहा। उन्होंने भरत को राजगद्दी सौंपने के साथ ही श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मांगा तो राजा दशरथ यह कटु सत्य स्वीकार नहीं कर पाए। लेकिन, जब श्रीराम को यह जानकारी मिलती है तो वह वनवास जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। उनकी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण भी श्रीराम के साथ चलने के लिए कहते हैं। इसके बाद श्रीराम अपने पिता दशरथ से आज्ञा मांगते हैं और श्रीराम के वनवास जाते ही अयोध्यावासी शोकाकुल हो जाते हैं। इस मौके पर कमेटी अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाड़ी, सतीश पाल, दीपक जोशी, राकेश पारछा, पवन गोयल, सतीश दुबे, रोहिताश पाल, हुकमचंद, मोनू पाल, राकेश पाल, मनोज गर्ग, मनमीत कुमार, मनोज जैन, मिलन कुमार, संजय आदि मौजूद रहे।