सर्दियों में छोटे बच्चों का विशेष खयाल रखने की जरूरत है। खासतौर से इस वर्ष कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सर्दियों के दौरान बरती गई लापरवाही उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इस बाबत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सर्दियों में बच्चों की देखभाल व खानपान को लेकर आवश्यक सुझाव दिए हैं।
सर्दियां आने पर हवा में ठिठुरन पैदा हो जाती है। मौसम में ठंडक अधिक बढ़ने से माता-पिता अक्सर अपने छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित रहते हैं। वैसे भी सर्दियों में, बच्चों और बूढ़े लोगों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इस मौसम में बच्चे बीमार भी ज्यादा होते हैं। सर्दी का यह मौसम और भी हानिकारक हो सकता है, वजह कोविडकाल में यदि हम हाथों की सफाई की ओर ठीक प्रकार से ध्यान नहीं दे पाते हैं, तो कोरोना वायरस हाथों से नाक और मुहं के जरिए भी शरीर में सीधे प्रवेश कर सकता है। लिहाजा ऐसी स्थिति में हम कोविड संक्रमण के जोखिम को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत जी ने कहा कि यह एक आम मिथक है कि ठंड का मौसम सर्दी लगने का कारण बनता है, लेकिन ऐसा नहीं है। फ्लू और जुकाम की शिकायत मुख्यतौर से वायरस के कारण होती है। इन रोगों के रोगाणुओं के प्रसार को कम करने के लिए नियमितरूप से हाथ धोने से फ्लू को रोका जा सकता है। बच्चों को छींकते और खांसते समय शिष्टाचार भी सिखाना उतना ही जरूरी है, जितना उन्हें हाथों और मुहं की स्वच्छता के प्रति जागरुक रखना होता है। छींकते और खांसते समय कोहनी मोड़कर मुहं को ढका जा सकता है। ऐसे में किसी भी तरह के संक्रमण से बचने के लिए इस मौसम में मास्क का उपयोग भी बेहद जरूरी है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत जी ने बताया कि हाथ या मुहं की साफ-सफाई नहीं रखने पर कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। बच्चों के हाथ यदि गंदे रहेंगे तो फिर जो कुछ भी वह छूते हैं, उनसे बीमारियों के कीटाणु फैलना शुरू हो जाते हैं, यह स्थिति कोरोना संक्रमण को देखते हुए खतरनाक साबित हो सकती है।
संस्थान के बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. एनके बट्ट जी ने बताया कि अभिभावकों को सबसे पहले सर्दियों में अपने बच्चों को गर्म कपड़ों को पहनाना सुनिश्चित करना चाहिए। मौसम के अनुसार उपयोग में लाए गए गर्म वस्त्र आपके बच्चों को गर्म, आरामदायक व सर्दी के दुष्प्रभावों से महफूज रखेंगे। उन्होंने बताया कि शीतकाल में बच्चों के लिए सर्दी से सुरक्षा के मद्देनजर उपयुक्त वस्त्रों का चुनाव भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि अभिभावकों को बच्चों के कपड़ों खासतौर से सर्दियों में अधिकांशतरू उपयोग में लाए जाने वाले गर्म वस्त्रों ऊनी वस्त्र स्वैटर, जैकेट आदि की नियमितरूप से साफ सफाई की ओर ध्यान देना चाहिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है। इस वजह से भी जरुरी है कि इन वस्त्रों में धूल के साथ कीटाणु भी चिपक जाते हैं। लिहाजा समय समय पर उनकी धुलाई की जानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि इस मौसम में बच्चों के लिए व्यायाम भी लाभकारी है, व्यायाम हमारे शरीर की स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली में योगदान देता है। इसके अलावा यदि मौसम साफ होने से अच्छी धूप निकली है तो अपने बच्चों को बाहर धूप में अवश्य ले जाएं। सूर्य के ताप से हमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन- डी मिलती है। धूप विटामिन- डी का सबसे अच्छा स्रोत है। सर्दियों में बच्चों पर विशेष ध्यान देने पर जोर देते हुए वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डाॅ. बट्ट ने बताया कि सर्दियों के दौरान त्वचा अक्सर शुष्क हो जाती है, इससे बच्चों के होंठ और गाल सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इससे बचाव के लिए पेट्रोलियम जैली (वैसलीन) का उपयोग करना लाभकारी होता है। उनका सुझाव यह भी है कि पर्याप्त मात्रा में पानी के सेवन से अपने बच्चे को हाइड्रेट करना न भूलें। यदि आपका बच्चा पानी कम मात्रा में लेता है, तो उसे गर्म पेय पदार्थ दिया जा सकता है।
विभाग के डाॅ. ऋषि बोलिया ने बताया कि हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों को बच्चों के नियमित आहार में शामिल किया जाना चाहिए। इसके अलावा गाजर, हरी बीन्स और संतरे में इम्युनिटी बढ़ाने वाले फाइटोन्यूट्रिएंट्स, विटामिन- सी और कैरोटेनॉयड्स होते हैं। यह सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने में सहायक हैं और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि फ्लू, जुकाम और गले में खराश जैसे संक्रामक रोग मुख्यरूप से वायरस के कारण होते हैं। इससे बचाव के लिए अभिभावक अपने बच्चों को भीड़भाड़ वाले स्थानों, बाजारों और बड़े सामाजिक समारोहों में ले जाने से बचें। यदि बहुत जरूरी हो तो, उन्हें पर्याप्त कपड़े और मास्क पहनाकर ही अधिक भीड़ वाले स्थानों पर ले जाएं। उनका सुझाव है कि यदि आपके बच्चे को 3 दिनों से अधिक समय तक बुखार, खांसी, जुकाम, गले में खराश च सांस तेज चलने की शिकायत है तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।