जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती के आदेश की सूचना फैलने के बाद राजनीति गरमा गई है। क्षेत्रीय राजनीतिक दल केंद्र को गलत ठहरा रहे हैं। वहीं भाजपा का कहना है कि क्षेत्रीय दलों के नेता अफवाह फैला कर लोगों में खौफ पैदा कर रहे हैं। अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती को जनता 370 और 35-ए हटाने की प्रक्रिया से जोड़कर असमंजस में है।
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह कदम ठीक नहीं है। इससे लोगों के दिलों में शक पैदा हो रहा है। जम्मू कश्मीर सियासी मसला है। इसका सियासी तौर पर हल निकाला जाना चाहिए। इसका मिलिट्री सोल्यूशन नहीं है। जब तक जम्मू-कश्मीर के लोगों और पाकिस्तान को बातचीत में शामिल नहीं किया जाएगा, तब तक इसका हल संभव नहीं है। कुलगाम में दिए इस बयान से पूर्व महबूबा ने अपने ट्विटर पर लिखा कि घाटी में अतिरिक्त 10 हजार सैनिकों को तैनात करने के केंद्र के फैसले ने लोगों में भय पैदा की है। केंद्र सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और सुधार करना होगा।
इस बीच पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन ने कहा कि जब से 100 अतिरिक्त कंपनियों का आदेश वायरल हुआ है, तब से लोगों में खौफ सा पैदा हो गया है। अटकलें लगाई जा रहे हैं कि कहीं जो विशेष दर्जा उन्हें प्राप्त है, कहीं उसके साथ छेड़छाड़ की कोई साजिश तो नहीं है। लेकिन इससे कुछ नहीं होगा। हिंदुस्तान के जो दुश्मन हैं, उनको तो फायदा होगा, लेकिन जिन लोगों ने संविधान के तहत शपथ ली है और जो मुख्यधारा के राजनीतिक दल हैं, उनकी साख को नष्ट करेगा। सज्जाद ने कहा कि ऐसा माहौल बन गया है कि सारे हिंदुस्तान के लोग कश्मीरियों पर हावी होना चाहते हैं। लेकिन जो ग्रेट नेशन होते हैं, वहां ऐसा तरीका नहीं होता है।
अवामी नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष मुजफ्फर अहमद शाह ने कहा कि अतिरिक्त जवानों की तैनाती एक चिंता का विषय जरूर है, लेकिन 1953 से हम तैनाती देखते आए हैं। उनसे कुछ नहीं हुआ। शाह ने कश्मीर घाटी में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती को अनुच्छेद 370 और 35-ए के हटाये जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसे हटाने का प्रयास गुंडागर्दी होगा। अगर केंद्र इस राज्य की विशेष पहचान को कानूनी तौर पर हटाने की कोशिश करेगी तो वह असफल रहेगी।