एनडीआरएफ ने टापू में फंसे 25 लोगों की जान बचाई

जल प्रलय से उफनाई गंगा का पानी गंगा के तटीय इलाकों में घुसा
एनडीआरएफ की अगुवाई में ऋषिकेश के दो इलाकों में आपदा (जल प्रलय) को लेकर मॉक ड्रिल
ऋषिकेश। पहाड़ में मूसलाधार बारिश से गंगा उफना गई। गंगा का पानी तटीय इलाकों में घुस गया। जान बचाने लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गये। 25 लोग पानी के बहाव के कारण गंगा के एक टापू में फंस गये। मौके पर एनडीआरएफ की टीम ने रेसक्यू अभियान चलाकर सभी को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाया। गुरूवार को एनडीआरएफ ने एक दर्जन विभागों के साथ मिलकर ऋषिनगरी में मॉकड्रिल की।
गुरुवार को जैसे ही तटीय इलाकों में जल प्रलय से उफनाई गंगा का पानी लोगों के घरों में घुसा। तो लोगों को समझने में देर नही लगी। केदारनाथ आपदा की यादें उनके जेहन में ताजा हो गयी। जो जिस हाल में रहा वह अपनी जान बचाकर भागने लगा। टिहरी बांध से अतिरिक्त पानी छोड़ने पर गंगा के पानी ने तो जैसे तबाही ही मचा दी। पानी के बहाव में 25 लोग बह गये। मौके पर एनडीआरएफ की टीम ने रेसक्यू अभियान चलाकर न सिर्फ लोगों की जान बचाई, बल्कि घायलों का उपचार भी किया। टीम ने गंभीर घायलों को अस्पताल भी पहुंचाया। आईडीपीएल के कम्युनिटी सेंटर में आपदा प्रभावितों के रहने व खाने की व्यवस्था भी की। एनडीआरएफ के जवानों ने मुनादी कर अन्य लोगों को भी गंगा के पानी बढ़ने की सूचना दी। उन्होंने गंगा के तटीय इलाकों को फौरन खाली करने के निर्देश दिये।
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आपसी तालमेल की कमी
गुरुवार को एनडीआरएफ की अगुवाई में ऋषिकेश के दो इलाकों में आपदा (जल प्रलय) को लेकर मॉक ड्रिल की गई। सुबह आठ बजे से संयुक्त राज्य बस अड्डे व हर्बल गार्डन ढालवाला पर दो यूनिट मॉक ड्रिल को लेकर मुस्तैद रही। अभियान चार घंटे लेट रहा। सुबह 12 बजे सूचना फ्लैश हुई कि गंगा के तटीय इलाकों में पानी बढ़ गया है। मौके पर एनडीआरएफ की टीम, स्थानीय प्रशासन के साथ अलग-अलग इलाकों के लिए रवाना हुई। लेकिन रेसक्यू अभियान में एनडीआरएफ के साथ स्थानीय प्रशासन का तालमेल देखने को नही मिला।
गंगा के टापू में फंसे 25 लोगों को बचाने में भी एनडीआरएफ के जवान ही भाग दौड़ करते नजर आये। स्थानीय प्रशासन के लोग एनडीआरएफ के साथ कहीं भी सहयोग करते नजर नही आये। पुलिस के जवान भी व्यवस्था बनाने में नाकाम रहे। मॉक ड्रिल में नगर के लगभग दर्जनभर विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे। लेकिन रेस्क्यू अभियान में किसी ने भी राफ्ट तक पकड़ने की जहमत नही उठाई। टीएचडीसी में कंट्रोल रुम की स्थापना की गई थी। एनडीआरएफ की समीक्षा में भी समन्वय, तालमेल व सूचना आदान प्रदान की कमी को महसूस किया गया।

मेरे नंबर पर व्हाट्सअप नही
आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील माने जाने वाले विभाग आपदा प्रबंधन के अधिकारी यह कहें कि मेरे नंबर पर व्हाट्सअप नही है तो आप समझ सकते है कि आपदा प्रबंधन विभाग कितना संवेदनशील है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी डॉ. दीप शिखा रावत के मोबाइल पर व्हाट्सअप ही नही है।

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समय दर समय घटनाक्रम
सुबह 12 बजे रेसक्यू को एनडीआरएफ की टीम रवाना
सुबह 12.08 नाव घाट में टीम पहुंची
सुबह 12.20 एनडीआरएफ ने पहली बोट तैयार की
सुबह 12.20 एसडीआरएफ की टीम पहुंची
सुबह 12.18 कमांड पोस्ट का टेंट तैयार
सुबह 12.22 मेडिकल का टेंट तैयार, डॉक्टर ने मोर्चा संभाला
सुबह 12.22 एसडीआरएफ की पहली बोट तैयार
सुबह 12.26 एनडीआरएफ का दूर संचार विभाग ने काम करना शुरु किया
सुबह 12.28 दूसरी बोट तैयार, गंगा में उतारी
सुबह 12.35 तीसरी बोट तैयार, गंगा में उतारी
सुबह 12.36 एसडीआरएफ की दूसरी बोट तैयार
दोपहर 1.25 रेसक्यू टीम ने टापू से लोगों का निकालना शुरु किया
दोपहर 1.33 घायलों को अस्पताल पहुंचाया

एसडीआरएफ के पास सामान ही नही
आपदा में रेस्क्यू करने पहुंची एसडीआरएफ की टीम के पास सामान ही नही था। रेस्क्यू टीम में शामिल पुलिस के कुछ जवान बिना हेलमेट के ही बोट में सवार हो गये। रेस्क्यू अभियान में आपसी तालमेल व सामंजस्य की कमी देखने को मिली।

ये रहे मौजूद …
आपदा प्रबंधन उप सचिव संतोष बड़ोनी, अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला, एडीएम टिहरी जगदीश लाल, एसडीएम कुश्म चौहान, एसडीएम लक्ष्मीराज चौहान, एसडीएम गोपालराम, अधिशासी निदेशक टीएचडीसी एचएल अरोड़ा, एजीएम एएस वर्मा, अतुल कुमार सिंह, एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट रोशन सिंह असवाल, इंस्पेक्टर जितेन्द्र सिंह, चंदन कुमार, सीओ चक्रधर अंथवाल, सीओ राजेन्द्र डोभाल, एफएसओ रोशनलाल शर्मा, नगर पालिकाध्यक्ष दीप शर्मा व शिवमूर्ति कंडवाल के अतिरिक्त एनसीसी, रेडक्रॉस, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग, डीएमएमसी, यूपीसीएल, पेयजल निगम, आपूर्ति विभाग, नगर पालिका ऋषिकेश व मुनिकीरेती आदि विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।