वरूणावत पर्वत से लगी कॉलोनी के समीप हुए भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का मंत्री अग्रवाल ने किया निरीक्षण

प्रभारी व कैबिनेट मंत्री डा. प्रेम चन्द अग्रवाल ने वरूणावत पर्वत से लगे गुफियारा-जल संस्थान कॉलोनी के ऊपर पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण कर कहा है कि भूस्खलन के उपचार एवं आबादी वाले क्षेत्र की सुरक्षा के लिए सरकार विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार हर संभव कदम उठाएगी।

जिले के एक दिवसीय भ्रमण पर यहां पहॅुचे वित्त, शहरी विकास, आवास, विधायी एवं संसदीय कार्य, पुनर्गठन, जनगणना एवं जिले के प्रभारी मंत्री डा. प्रेम चंद अग्रवाल ने जिला मुख्यालय उत्तरकाशी में वरूणावत पर्वत से लगे गुफियारा-जल संस्थान कॉलोनी क्षेत्र में जाकर भूस्खलन का जायजा लेने के साथ ही इस भूस्खलन की रोकथाम एवं आबादी वाले क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अधिकारियों से विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि भूस्खलन का मलवा व पहाड़ी से गिरने वाले पत्थर आबादी वाले क्षेत्र के तरफ न बढें, इसके लिए विशेषज्ञ संगठनों की राय से तात्कालिक महत्व के कार्य करने के साथ ही इस क्षेत्र में पहले से स्थापित लोहे की रेलिंग को विस्तारित व सुदृढ करने के साथ ही सुरक्षा दीवार बनाए जाने पर भी विचार किया जाय।

डा. अग्रवाल ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में विस्तृत सर्वेक्षण में जुटे टीएचडीसी, जीएसआई एवं यूएलएमएमसी के सर्वेक्षण दल के सदस्यों से भी मौके पर वार्ता कर सर्वेक्षण की प्रगति एवं वस्तुस्थिति की जानकारी ली। उन्होंने टीम के सदस्यों से यथाशीघ्र अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की अपेक्षा करते हुए कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में दी जाने वाली संस्तुतियों के अनुसार भूस्खलन के उपचार एवं सुरक्षा कार्यों को लेकर कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र में जन-जीवन की सुरक्षा के के लिए सभी एहतियाती कदम उठाए जाने के भी निर्देश दिए।

इस अवसर पर जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि गत गत 27 अगस्त को सक्रिय हुए इस भूस्खलन में विस्तार की प्रवृत्ति देखने में नहीं आई है और मलवा-पत्थर अभी पहाड़ी क्षेत्र में ही रूका पड़ा है और स्थिति अभी सामान्य बनी हुई है। लेकिन प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर प्रशासन के द्वारा सभी एहतियाती कदम उठाए गए हैं। प्रशासन के द्वारा खतरे की आशंका वाले क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने की व्यवस्था भी की गई है। जिलाधिकारी ने कहा कि भूस्खलन के कारणों की विस्तृत जांच एवं उसके निदान के लिए तात्कालिक एवं दीर्घकालीन उपाय सुझाने हेतु में टीएचडीसी, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ ही उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केन्द्र तथ जिला टास्क फोर्स के भूवैज्ञानिक एवं विशेषज्ञों की टीम द्वारा गत दिन से प्रभावित क्षेत्र का सर्वेक्षण किया जा रहा है। इस टीम को जल्द सर्वेक्षण पूरा कर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। रिपोर्ट में दी जाने वाली संस्तुतियों के अनुसार प्रभावित क्षेत्र में आवश्यक सुरक्षा एवं उपचार कार्य करने के लिए प्रस्ताव तैयार कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

इस दौरान विधायक गंगोत्री सुरेश चौहान, मुख्यमंत्री के जन संपर्क अधिकारी किशोर भट्ट, उप जिलाधिकारी बृजेश कुमार तिवारी, उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केन्द्र की वरिष्ठ भूवैज्ञानिक रूचिका टंडन, डिजायन इंजीनियर पंकज उनियाल, जीएसआई की वरिष्ठ भूवैज्ञानिक नेहा कुमारी, टीएचडीसी के वरिष्ठ प्रबंधक जेआर कोठारी, स्ट्रक्चरल इंजीनियर टीएचडीसी विनय पुरोहित, जिला टास्क फोर्स के भूवैज्ञानिक प्रदीप कुमार, अधिशासी अभियंता लोनिवि रजनीश सैनी, तहसीलदार सुरेश सेमवाल, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल भी उपस्थित रहे।