क्राइम ब्रांच ने दिल्ली में एक किडनी रैकेट का भंडाफोड़ कर गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में संगम विहार के पास स्थित बत्रा अस्पताल का एक कर्मचारी भी शामिल है। हैदराबाद के एक शख्स को किडनी दिलाने के लिए आरोपियों ने उसके परिजनों से 40 लाख रुपये लिए और जयपुर के एमबीए छात्र को चार लाख रुपये में किडनी डोनेट करने के लिए डील तय की थी।
किडनी देने व लेने की सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बृहस्पतिवार को बत्रा अस्पताल ने डोनर को अस्पताल बुलाया और ट्रांस प्लांट के लिए बनाई गई डॉक्टरों की कमेटी ने भी इसे हरी झंडी दे दी। इस बीच, पूरे मामले पर नजर रख रही क्राइम ब्रांच की टीम ने एक के बाद एक चारों आरोपियों को दिल्ली के अलग-अलग स्थानों से दबोच लिया।
संयुक्त आयुक्त क्राइम ब्रांच प्रवीर रंजन के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों के नाम जयंत साहू उर्फ राहुल, सुलेखा पांडा, अनोज पात्रा व बिरजू पासवान हैं। इनमें बिरजू पासवान बत्रा अस्पताल का कर्मचारी है। वह पहले दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में काम करता था, लेकिन कुछ वर्षों से अब बत्रा अस्पताल में काम कर रहा था।
जयपुर से एमबीए की पढ़ाई कर रहे जयदीप शर्मा व उसके एमबीए छात्र दोस्त राजेश को पिछले साल सितंबर में इंटरनेट पर कुछ सर्च करने के दौरान एक साइट पर किडनी डोनेट करने पर मोटी रकम मिलने की जानकारी मिली थी। दोनो गरीब परिवार से हैं, उन्हें पैसों की जरूरत थी। लिहाजा राजेश इस गिरोह से संपर्क कर दिल्ली आया था। उसके बाद से राजेश का कोई अता-पता नहीं है।
जयदीप ने अपने दोस्त को ढूंढने के लिए गिरोह से बातचीत शुरू कर इसकी सूचना न्यूज चैनल को दे दी। इसके बाद क्राइम ब्रांच की 20 सदस्यीय टीम इस पूरे रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए 40 दिनों तक डोनर जयदीप शर्मा व एक न्यूज चैनल के संवाददाता के साथ स्टिंग ऑपरेशन में जुटी रही।
इस किडनी रैकेट से जुड़ी तमाम प्रक्रिया को लेकर क्राइम ब्रांच ने करीब 200 घंटे की वीडियो रिकॉर्डिंग की। उसके बाद रैकेट का भंडाफोड़ कर आरोपियों को दबोच लिया गया। प्रवीर रंजन का कहना है कि इस मामले में बत्रा अस्पताल के कुछ डॉक्टरों से शुक्रवार को क्राइम ब्रांच की इंटर स्टेट सेल मे पूछताछ की गई।
ये हैं आरोपी
1. जयंत साहू : ओडिशा-सभी तरह के जरूरी दस्तावेज फर्जी तरीके से तैयार करता था।
2. सुलेखा पांडा : ओडिशा- हौजरानी में एक फ्लैट में ठहराए गए विभिन्न राज्यो सें आए डोनरों व उनके परिजनों के रहने, खाने व काउंसिलिंग करने का काम करती थी।
3. अनोज पात्रा : ओडिशा-यह भी सुलेखा की तरह देखभाल करता था।
4. बिरजू पासवान : अस्पताल प्रशासन, किडनी के डॉक्टरो व ट्रांसप्लांट के लिए हरी झंडी देने वाले कमेटी के डॉक्टरो से तालमेल करने का काम करता था।
अस्पताल की नहीं है संलिप्तता: बत्रा प्रबंधन
बत्रा अस्पताल में सभी किडनी प्रत्यारोपण नियमों का पालन करते हुए कड़ी निगरानी में किए जाते हैं। ऐसे सभी प्रत्यारोपण के मामलों का एक कमेटी निरीक्षण करती है और प्रत्यारोपण से संबंधित सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है। सभी दस्तावेजों की जांच की जाती है और कमेटी द्वारा की जाने वाली पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड भी किया जाता है। अस्पताल की किसी गलत कार्य मे कोई संलिप्तता नहीं है। मामले की जांच में अस्पताल पुलिस का पूरा सहयोग कर रहा है और आगे भी करेगा, ताकि सच्चाई सामने लाई जा सके।