क्या वेस्ट हो चुके फूलों से कोई भगवान को प्रसन्न कर सकता है, क्या ऐसे फूल जिसकी महक चली गई हो, भगवान को चढ़ाए जा सकते है। आप सभी का जवाब न में होगा। मगर, यह सच है। ऋषिकेश में वेस्ट हो चुके फूलों से अगरबत्तीयां बनाने के काम आ रही हैं। फिर यही अगरबत्तीयां भगवान की पूजा अर्चना में प्रयोग हो रही है।
फरीदाबाद हरियाणा के रहने वाले रोहित प्रताप ने बताया कि उन्होंने करीब साढ़े तीन लाख रुपये की लागत से अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया था। यह पूरी तरह से हस्तनिर्मित है। शाम के समय नगर निगम की गाड़ी से ऋषिकेश के प्रत्येक मंदिर से बासी फूलों को उठाया जाता है। जिन्हें सुखाकर उसका पाउडर बनाया जाता है। इसके बाद इसकी अगरबत्ती तैयार की जाती है। नभ अगरबत्ती के नाम से अगरबत्ती को मार्केट में उतारा गया है। पूरे निर्माण कार्य में कहीं भी कोयला और चारकोल का प्रयोग नहीं होता है। फिलहाल चारधाम यात्रा जाने वाले यात्रियों के लिए बीटीसी में अगरबत्ती का स्टॉल लगाया गया है।
महिलाओं को भी मिला रोजगार
अगरबत्ती बनाने के लिए वर्तमान में करीब 10 महिलाएं काम करती हैं। शाम के समय शिवाजी नगर क्षेत्र में करीब 20 महिलाओं को अगरबत्ती बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
प्रत्येक मंदिर में लगाए हैं फूल डालने के लिए डस्टबीन
बेकार फूलों को डालने के लिए उनकी ओर से ऋषिकेश के सभी मंदिरों में कूड़ेदान लगाए हुए हैं। सभी कूड़ेदानों पर आकर्षक ढंग से लिखा है कि रास्ते में पड़े फूलों को कूड़ेदान में डालें।