इकोनॉमिक ग्रोथ के दावे हवा-हवाई, प्रदेश को हुआ वित्तीय घाटा

देहरादून।
इकोनॉमिक ग्रोथ के तमाम दावों के बावजूद उत्तराखंड का राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। जब हम पिछले पांच सालों में इस आंकडे पर
नजर डालते हैं तो पता चलता है पिछले पांच सालों में यह घाटा करीब 6 गुना बढ़ गया है। भारत के कंट्रोलर एवं ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया यानी कैग की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
प्रदेश में राजनीतिक पार्टियां सत्ता में रहते हुए प्रदेश को तेजी से आगे बढ़ाने की बात लाख दफा कर लें लेकिन हकिकत तो यही है की प्रदेश इस धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। और इस बात का प्रमाण कैग की नई रिपोर्ट दे रही है जिसमें साफ कहा गया है की पिछले पांच सालों में प्रदेश में राजकोषीय घाटा 6 गुना बढ़ा है। यह रिपोर्ट तब सामने आई है जब प्रदेश में नई सरकार ने अपना कामकाज संभाल लिया है।

ग्राफिक्स के जरिये जानिये वित्तीय घाटा-

वर्ष राजकोषीय घाटा राजस्व घाटा प्राथमिक घाटा

2011-12 1,757 716 12

2012-13 1,600 1,787 489

2013-14 2,650 1,105 594

2014-15 5,826 917 3,420

2015-16 4,126 1852 3,154

जहां प्रदेश को राजकोषीय घाटा हो रहा है वही नियमों का भी उल्लंघन किया गया। कैग की रिपोर्ट कहती है कि राज्य सरकार ने लेखा नियमें के विरुद्ध
मे कई बार खर्च किया है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य सरकार ने पुंजीगत संपतियों के निर्माण के लिए दिये गए 54.81 करोड़ रुपये को सहायता अनुदान में खर्च किया। इसके अलावा 1.188 करोड़ रुपये वृहत निर्माण कार्यों के घन को राजस्व में 2.21 करोड़ रुपये के मरम्मत कार्य
के पूंजीगत खंड में और 4.33 करोड़ रुपये के लघु निर्माण कार्यों को पूंजीगत खंड में खर्च किया गया। जो की लेखा नियमों का साफ तौर पर उल्लंघन है।
जहां राजकोषीय घाटा बढ़ा है वही पूर्व के पांच सालों में प्रदेश की सत्ता संभालने वाली कांग्रेस सरकार और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है की यह घाटा तो होता ही है। वही बीजेपी इसे पूर्व की सरकार पर डालती नजर आ रही है।