देहरादून के दून महिला अस्पताल में बच्चा बदले जाने के कथित मामले में अस्पताल प्रशासन ने राहत की सांस ली है। इस मामले में डीएनए रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया है कि महिला का बच्चा बदलने का इल्जाम झूठा है। उसकी बेटी ही हुई थी।
विदित हो कि पिछले माह अस्पताल में एक ही नाम की दो महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया था। दोनों के प्रसव के बीच करीब डेढ़ घंटे का अंतर रहा। इनमें एक महिला ने बेटे और दूसरी ने बेटी को जन्म दिया था। शाम ढलते ही अस्पताल में बेटा-बेटी का मामला उलझ गया। इनमें डोभालवाला निवासी आरती पत्नी उमेश ने आरोप लगाया कि उनका बेटा हुआ था। लेकिन अस्पताल में तैनात स्टाफ ने उन्हें शाम को बताया कि बेटा नहीं बेटी हुई है। बच्ची को दूध पिलाने तक से उसने इन्कार कर दिया था।
मामला प्रकाश में आने के बाद अस्पताल प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। वहीं उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इसका संज्ञान लिया। अगले दिन आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी अस्पताल पहुंच गईं। उनके हस्तक्षेप पर महिला ने बच्ची को दूध पिलाया। इस मामले में शहर कोतवाली में भी तहरीर दी गई थी। शिकायतकर्ता दंपती बच्चों का डीएनए टेस्ट करने की मांग कर रहे थे।
बीती 12 मार्च को बाल आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा, महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी व पुलिस की मौजूदगी में डीएनए जांच के लिए दोनों दंपती व बच्चों के सैंपल लिए गए। अब सवा माह बाद डीएनए की जांच रिपोर्ट आई है। दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने जांच रिपोर्ट मिलने की पुष्टि की है।