त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने धर्म स्वतंत्रता एक्ट की नियमावली पर मुहर लगा दी है। बुधवार को हुयी कैबिनेट की बैठक में यह नियमावली पर मुहर लगाई गयी। इस नियमावली के बाद अब राज्य में जबरन धर्म परिवर्तन किया तो संबंधित के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी। विशेष बात यह है कि आरोपित व्यक्ति को खुद को दोषमुक्त साबित करने के लिये स्वयं प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।
त्रिवेंद्र सरकार ने बीते मार्च माह में गैरसैंण विधानसभा सत्र में उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक को पारित कराने के बाद उसे एक्ट की शक्ल दी थी। अब उक्त एक्ट की नियमावली पर मंत्रिमंडल की मुहर लग गई। सचिवालय में बुधवार को मंत्रिमंडल के फैसलों को काबीना मंत्री प्रकाश पंत ने ब्रीफ किया। उन्होंने बताया कि धर्म स्वतंत्रता एक्ट की नियमावली बनने के बाद इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित हो जाएगा। अब धर्म परिवर्तन के इच्छुक व्यक्ति को पहले अपने स्थायी निवास स्थल क्षेत्र के जिला मजिस्ट्रेट को पूर्व सूचना देनी होगी। जिला मजिस्ट्रेट ऐसी सूचनाओं की 15 दिन के भीतर जांच कराएगा।
सात दिन में होगी जांच
इस जांच में यह भी देखा जाएगा कि धर्म परिवर्तन जबरन, प्रलोभन, उत्पीडन या कपटपूर्ण अथवा विवाह के जरिये किया जा रहा है अथवा नहीं। बिना सूचना के किसी ने भी धर्म परिवर्तन किया तो ऐसे मामलों की जांच होगी। जिला मजिस्ट्रेट ऐसे मामलों में सात दिन के भीतर जांच कराएंगे। सरकार ने नियमावली में यह प्रावधान भी किया है कि प्रत्येक जिलाधिकारी को हर महीने की दस तारीख तक पिछले माह के दौरान ऐसे मामलों की रिपोर्ट सरकार को देनी होगी।
यह है सजा का प्रावधान
यदि धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से विवाह किया गया तो उस धर्म परिवर्तन को अमान्य घोषित किया जाएगा। धर्म परिवर्तन के लिए जिला मजिस्ट्रेट या कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक माह पहले शपथपत्र देना होगा। धर्म परिवर्तन के लिए समारोह की भी पूर्व सूचना देनी होगी। सूचना नहीं देने की स्थिति में इसे अमान्य करार दिया जाएगा। धर्म स्वतंत्रता कानून का उल्लंघन होने की स्थिति में तीन माह से एक वर्ष की सजा होगी। अनुसूचित जाति-जनजाति के मामले में यह छह माह से दो वर्ष होगी।
धर्म परिवर्तन के एवज में किसी तरह का दान या अंशदान लेन-देन का मामला सामने आया तो जांच के बाद ऐसी राशि जब्त की जाएगी। साथ ही इसके लिए दोषी संस्था, व्यक्ति अथवा पुजारी को दंडित किया जाएगा। जबरन धर्म परिवर्तन के मामले में जेल जाने का प्रावधान भी किया गया है।