कोविड19 के विश्वव्यापी संक्रमण के मद्देनजर गतवर्ष 2020 में लाॅकडाउन के बावजूद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान म्स ऋषिकेश ने ढाई लाख से अधिक मरीजों को कोविड उपचार, आपात व ओपीडी सुविधाएं प्रदान की हैं। जबकि इतना ही नहीं इस दौरान 29 हजार से अधिक मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उनका समुचित उपचार किया गया।
वर्ष 2020 के मार्च महीने में देशभर लाॅकडाउन के बाद हर कोई कोरोना संक्रमित लोगों से दूर भाग रहा था। लोगों के जेहन में विश्वव्यापी महामारी कोविड19 के संक्रमण का खौफ इस कदर बन गया था कि राज्य के अधिकांश अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं भी बंद कर दी गई थी। इन चुनौतियों के बावजूद एम्स ऋषिकेश ने अपनी ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं को मरीजों की सुविधा के लिए निर्बाधरूप से जारी रखा व आपातकाल में अपना फर्ज निभाते हुए संस्थान के चिकित्सकों व नर्सिंग व अन्य स्टाफ ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मरीजों की सेवा की।
इस बाबत संस्थान के डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि कोविडकाल में उपचार की प्राथमिकता कोरोना के मरीजों के लिए निर्धारित की गई थी, साथ ही अनिवार्य और आपात स्थिति के मरीजों का इलाज भी एम्स में 24 घंटे जारी रखा गया। उन्होंने बताया कि गत वर्ष दिसंबर – 2020 तक ढाई लाख मरीज एम्स की ओपीडी में पहुंचे। इनमें से 29 हजार 299 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर उनका समुचित उपचार किया गया। जबकि कोरोनाकाल की इसी समयावधि में विभिन्न बीमारियों से ग्रसित 10 हजार मरीजों की मेजर सर्जनी भी सफलतापूर्वक की गई। 4500 मरीजों की डायलिसिस व 4000 रोगियों की कीमो थैरेपी दी गई।
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश को लेबल 3 श्रेणी में रिजर्व रखा गया था। इस श्रेणी में कोविड संक्रमित उन्हीं मरीजों का उपचार किया जाता है, जो गंभीर अवस्था के होते हैं व जिन्हें ऑक्सीजन, वेन्टिलेटर या आईसीयू में रखे जाने की जरुरत पड़ती है। डीएचए के अनुसार एम्स की लैब में अब तक 1 लाख 20 हजार कोविड सैंपलों की जांच व कोविड स्क्रीनिंग एरिया में अभी तक 46 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इनमें से ढाई हजार कोविड मरीजों का उपचार कर उन्हें स्वास्थ्य लाभ दिया गया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एम्स में कोरोना के 92 मरीजों का उपचार चल रहा है।