कर्नाटक में सरकार ने राज्य के लिए स्टेट फ्लैग के लिए कवायद शुरू की है। सीएम सिद्धारमैया ने इसके लिए 9 मेंबर्स की कमेटी बनाई है, जो झंडे के डिजाइन और इसके कानूनी पक्ष तय करेगी। मीडिया में खबरें आने के बाद बीजेपी-शिवसेना ने इसका विरोध शुरू कर दिया। सरकार का दावा है कि इस झंडे को कर्नाटक की खास पहचान के तौर पर देखा जाएगा। संविधान विशेषज्ञों के अनुसार, संविधान में अगल से झंडे का कोई प्रावधान नहीं है, यहां सिर्फ राष्ट्रध्वज हो सकता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी सिद्धारमैया सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। बता दें कि, जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश के किसी भी राज्य के पास खुद का झंडा नहीं है। आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को खास राज्य का दर्जा मिला हुआ है।
इन पर भी दे ध्यान…
स्टेट फ्लैग के लिए बनाई कमेटी जल्द ही राज्य की कांग्रेस सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। अगर, सिद्धरमैया कर्नाटक का झंडा बनाने में कामयाब हुए तो इससे उन्हें 2018 के असेंबली इलेक्शन में फायदा हो सकता है।
सरकार ने 6 जून को कमेटी बनाने के लिए ऑर्डर जारी किया था। इसमें कन्नड़ और कल्चर डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को कमेटी का चेयरपर्सन बनाया गया।
2012 में राज्य में बीजेपी की सरकार थी। तब सरकार ने कहा था कि इससे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हो सकता है। कन्नड़ कम्युनिटी की आवाज बुलंद करने वाले कुछ संगठन अलग झंडे की मांग कर रहे थे। बता दें कि कर्नाटक में पिछले दिनों हिन्दी का भी विरोध हो रहा था। लोगों ने हिन्दी के बोर्ड हटाए थे।
बता दें कि कर्नाटक के फाउंडेशन डे पर हर 1 नवंबर को राज्य के गली-चौराहों पर लाल और पीले रंग का कन्नड़ फ्लैग लगाया जाता है। इसे कन्नड़ एक्टिविस्ट वीरा सेनानि एम. राममूर्ति ने 1960 में डिजाइन किया था। इसे भारत सरकार की मान्यता नहीं मिली है।