उत्तराखंडः साइबर हमले की जांच अब एसआईटी करेगी

उत्तराखंड पर हुए साइबर हमले की जांच के लिए उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सीओ अंकुश मिश्रा के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित कर दिया है। एसआइटी मेल भेजकर फिरौती मांगने वाले हैकर के बारे में जानकारी जुटाएगी।

एसआइटी ने मेल आइडी हरमेसा और लिंगर की जांच के लिए मेल होस्टिंग को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है। इसके अलावा केंद्रीय एजेंसी भारतीय साइबर क्राइम समन्वय केंद्र (आई4सी), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए), भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सर्ट-इन), राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (एनसीआइआइपीसी) भी जांच में जुट गई है।

पटेलभवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पुलिस महानिरीक्षक एसआइटी नीलेश आनंद भरणे, मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी पुलिस उप महानिरीक्षक सैंथिल अबूधाई कृष्ण राज एस व एसटीएफ के एसएसपी नवनीत भुल्लर ने बताया कि दो अक्टूबर की दोपहर को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) प्रोजेक्ट ने काम करना बंद कर दिया।

अन्य सिस्टम पर चेक किया गया तो इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी डेवलमेंट एजेंसी (आइटीडीए) से जानकारी मांगी गई तो आइटीडीए के सर्वर पर हैकिंग संबंधी मैसेज (नोट पैड) में सर्वर के प्रत्येक फोल्डर में प्रदर्शित हो रहा था। हैकर ने संपर्क करने के लिए मेल आइडी दी गई व भुगतान के बाद डाटा सुरक्षित उपलब्ध कराए जाने से संबंधित मैसेज भेजा गया। इस पर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में जबरन वसूली व आइटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह की ओर से जांच के लिए एसआइटी गठित की गई है, जिसमें पुलिस उपाधीक्षक अंकुश मिश्रा, निरीक्षक विकास भारद्वाज, उपनिरीक्षक राजीव सेमवाल को शामिल करते हुए जांच की जा रही है। एसटीएफ ने आइटीडीए के कर्मचारियों को पूर्ण सहयोग दिया और डाटा सुरक्षित करने के बाद हैकर का पता किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न डिजीटल लाग व साक्ष्य संरक्षित करने की प्रणाली व वायरल की फाइल को रिकवर कर लिया गया है। साथ ही प्रारंभिक विश्लेषण में वायरस आने की तकनीकी कारण भी विवेचना में शामिल किया जा रहा है। एसआइटी की ओर से तकनीकी उपकरण की वर्चुअल मशीन की कापी विश्लेषण के लिए भेजी जा रही है। भविष्य के लिए इस प्रकार के वायरस के आने के कारण को ढूंढकर सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली को बेहतर करने में सहायता मिलेगी।

फाइलों को सुरक्षित करने के बाद हैकर के बारे में जुटा रहे जानकारी
आइजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि साइबर हमले के कारण जो भी एप्लीकेशन प्रभावित हुई तो उन्हें ठीक करने के बाद अब हैकर के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि आखिर अनाधिकृत फाइल सिस्टम में कहां से आई है। वसूली के लिए जो ईमेल भेजी गई थी, उसके बारे में पता करने के लिए मेल होस्टिंग को पत्र लिखा गया है।

1400 वर्चुअल मिशन की स्कैनिंग की गई
पुलिस महानिरीक्षक सैंथिल अबूधाई कृष्ण राज एस के अनुसार प्रदेश के आइटी सिस्टम में मालवेयर को हटाने के लिए करीब 1400 वर्चुअल मिशन (सर्वर से होस्टिंग की सर्विस देने की व्यवस्था) और उससे संबंधित एक-एक डेटा की स्कैनिंग की गई। इसमें ई-आफिस से ही संबंधित 60 वर्चुअल मशीन शामिल रहीं। इसके लिए पूरी टीम ने सरकार के नेतृत्व में अथक प्रयास किए।