नई शिक्षा नीति के अंतर्गत तकनीकी संस्थानों सहित देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में संगीत, थिएटर, कला अ ौर मानविकी के लिए अलग से विभाग बनाया जाएगा। नई नीति के तहत आईआईटी समेत देश के सभी तकनीकी संस्थान होलिस्टिक अप्रोच (समग्र दृष्टिकोण) अपनाएंगे। इसके तहत इंजीनियरिंग के साथ-साथ तकनीकी संस्थानों में कला और मानविकी के विषयों पर जोर दिया जाएगा।
विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों का काम अकादमिक और रिसर्च पर फोकस रहेगा। परीक्षा से लेकर दाखिले तक का काम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के तहत होगा। कौशल आधारित विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
लिबरल एजुकेशन में देश की 64 कलाओं को बढ़ावा मिलेगा। विभिन्न विषयों में दक्षता और क्षमता के आधार पर डिग्री की पढ़ाई होगी। इसका मतलब ज्ञान के साथ कौशल विकसित करना है, जिससे रोजगार के मौके मिलें। स्नातक तक कोर्स 3-4 वर्ष का होगा और कभी भी प्रवेश और पढ़ाई छोड़ने का विकल्प सर्टिफिकेट के साथ मिलेगा।
शिक्षा सुधार योजनाओं में हिंदू मठ, आश्रम, गुरुद्वारा, ईसाई मिशनरी संस्थान, इस्लामिक ट्रस्ट, बौद्ध और जैन समुदाय को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसका मकसद विभिन्न वर्गों को जोड़ना और वैचारिक मतभेद दूर करना है। स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्त्रस्म में बिजनेस व इंडस्ट्री के सुझाव पर बदलाव होगा, ताकि रोजगार पर फोकस किया जा सके। इसके अलावा पूर्व छात्र और स्थानीय समुदाय से सुरक्षा, सफाई पर मदद ली जाएगी।
सीएम ने दी बधाई, कहा नई शिक्षा नीति से बदलेगा भारत
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश में 28 साल बाद नई शिक्षा नीति लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को बधाई देते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति भारत के भविष्य को संवारने में मददगार होगी। इसमें शिक्षा पर जीडीपी का छह प्रतिशत खर्च करने और कक्षा पांच तक मातृभाषा में शिक्षा देने की बात कही गई है। पारम्परिक मूल्यों का समावेश करते हुए नई शिक्षा नीति को आने वाले समय की चुनौतियों के अनुरूप बनाया गया है।