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धामी ने विचलन का प्रयोग करते हुए 1 साल तक की ही व्यवस्था बनाई थी, फिर अकेले पुष्कर पर ही निशाना क्यों..

उत्तराखंड विधानसभा में तदर्थ भर्ती को विचलन से मंजूरी कोई 2022 में पहली बार नहीं दी गई। राज्य के लगभग हर सीएम के कार्यकाल में ये मंजूरियां दी गईं। ऐसा कोई हम नहीं कह रहे, बल्कि स्पीकर ऋतु खंडूड़ी की बनाई डीके कोटिया समिति की रिपोर्ट और खुद विधानसभा के हाई कोर्ट में दाखिल किए गए काउंटर में इस हकीकत का विस्तार से जिक्र किया गया है।
सबसे पहली बार 2001 में तत्कालीन सीएम नित्यानंद स्वामी ने 53 पदों पर तदर्थ भर्ती को विचलन से ही मंजूरी दी। इसके बाद कांग्रेस सरकार में सीएम एनडी तिवारी ने तो विचलन से तदर्थ भर्ती को मंजूरी देने का रिकॉर्ड ही बना दिया। उन्होंने 2002 में 28, वर्ष 2003 में 05, वर्ष 2004 में 18, वर्ष 2005 में 08, वर्ष 2006 में भी जाते जाते 21 पदों को मंजूरी दी।
इसके बाद वर्ष 2007 में सीएम बने बीसी खंडूड़ी ने तो कुर्सी संभालने के महज कुछ महीने के भीतर ही 27 पदों पर तदर्थ भर्ती को मंजूरी दी। इन्हीं भर्तियों में उन्होंने अपने पर्यटन सलाहकार प्रकाश सुमन ध्यानी की बेटी, अपने खासमखास महेश्वर बहुगुणा के बेटे, अनिल नेगी की पत्नी, मेयर गामा की पत्नी, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट के साले समेत कई अपने करीबियों को विधानसभा में बेकडौर से भर्ती कराया। इसके बाद वर्ष 2014 में सात और 2016 में 149 पदों पर तदर्थ भर्ती की विचलन से मंजूरी तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने दी। यही परंपरा 2022 में भी जारी रही। विचलन से सीएम की ओर से दी मंजूरी का अर्थ ये नहीं की कुछ भी कर लिया जाए। भर्ती को लेकर जो भी प्रक्रिया अपनाई जाती है, वो स्पीकर के स्तर पर ही होती है। पहली बार सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ही स्पीकर की मनमानी को नियंत्रित किया। सख्त व्यवस्था बनाई की पदों की मंजूरी सिर्फ एक साल के लिए दी गई। जिसे दिसंबर 2022 में ही समाप्त हो जाना था। इस तरह उत्तराखंड के इतिहास में अकेले पुष्कर धामी ऐसे सीएम हैं, जिन्होंने विधानसभा में स्पीकर को भी भर्ती के मामले में नियंत्रित कर एक मिसाल कायम की।

भर्ती परीक्षाओं की शुचिता और गरिमा बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रही सरकार-सीएम

उत्तराखंड राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा लगभग 7000 पदों पर गतिमान भर्ती प्रक्रिया राज्य लोक सेवा आयोग को हस्तांतरित करने के सम्बंध में आज कैबिनेट से प्रस्ताव पारित हो गया है। मुख्यमंत्री धामी के निर्देश हैं कि भर्ती परीक्षाओं … अधिक पढ़े …

बिहार के रिश्तेदारों को उत्तराखंड में नौकरी लगाने पर पूर्व शिक्षा की सफाई

उत्तराखंड में इन दिनों सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक के नेताओं पर भाई भतीजा वाद को लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं,सत्ता के रूतबे के दम पर नेताओं ने अपने-अपने करीबीयों को नौकरी पर लगाया। उत्तराखंड में पिछले कुछ … अधिक पढ़े …