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दिव्यांगजनों के साथ किया गया व्यवहार किसी भी समाज की प्रगति को दर्शाता हैः राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि किसी देश या समाज की प्रगति का असली पैमाना यह है कि वहां दिव्यांगजनों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। भारत का इतिहास संवेदनशीलता और समावेशिता के प्रेरक प्रसंगों से भरा पड़ा है। हमारी संस्कृति में करुणा और प्रेम के भाव सदैव से शामिल रहे हैं। राष्ट्रपति देहरादून स्थित राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुईं।

उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों के सामने कई बाधाएं रही हैं, जिन्हें दूर करने के लिए समावेशी दृष्टिकोण और निरंतर प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि ‘सुगम्य भारत अभियान’ के माध्यम से सरकार दिव्यांगजनों के लिए सुलभ वातावरण, परिवहन और सूचना तंत्र विकसित कर रही है, ताकि वे समान भागीदारी कर सकें। उन्होंने कहा कि आज का युग विज्ञान और तकनीक का है। उन्नत तकनीक की सहायता से दिव्यांगजन भी देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर देकर दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाना बेहद जरूरी है। राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं ताकि वे भी समान अवसरों के साथ आगे बढ़ सकें। इस दौरान राष्ट्रपति ने संस्थान परिसर में माडल स्कूल की विज्ञान प्रयोगशाला और कंप्यूटर प्रयोगशाला का निरीक्षण किया। इसके साथ ही दिव्यांगजनों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी भी देखी।

राष्ट्रपति ने छात्रों से संवाद कर उनकी पढ़ाई-लिखाई और प्रशिक्षण के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन परिसर में दिव्यांगजनों द्वारा संचालित कैफे इसका उदाहरण है कि अवसर मिलने पर दिव्यांगजन किसी से पीछे नहीं हैं। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने श्पर्पल फेस्टश् का भी जिक्र किया, जिसमें दिव्यांगजनों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि समाज को चाहिए कि वह जीवन के हर क्षेत्र में दिव्यांगजनों को समान अवसर दे, ताकि उनका आत्मविश्वास बढ़े और वे देश के विकास में सहभागी बन सकें। राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांगजन अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश का गौरव बन सकते हैं।

राष्ट्रपति ने बच्चों के बीच जन्मदिन मना कर दिया संदेश रू केंद्रीय मंत्री केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दृष्टिबाधित बच्चों के बीच अपना जन्मदिन मना कर समाज को प्रेरणादायी संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि यदि जनप्रतिनिधि वंचित बच्चों के बीच जाकर अपना जन्मदिन मनाएं तो बच्चों में ऊर्जा का संचार होता है और वे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं। मंत्री ने बताया कि संस्थान में अब दृष्टिबाधित बच्चे विज्ञान और गणित की पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले वर्ष दो और इस वर्ष पांच छात्रों ने विज्ञान वर्ग में दाखिला लिया है।

यह संस्थान देशभर में एक आदर्श माडल बन रहा है और आगे मंत्रालय के सभी नौ संस्थानों में भी इसे शुरू किया जाएगा। दृष्टिबाधित बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध रू मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ‘विकलांग’ के स्थान पर ‘दिव्यांग’ शब्द देकर समाज में सकारात्मक सोच विकसित की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘हम दृष्टिबाधित बच्चों की आंखों की रोशनी तो नहीं लौटा सकते, लेकिन उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करेंगे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। समर्थता दृष्टि में नहीं, संकल्प में होती है रू राज्यपाल राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने दृष्टिबाधित बच्चों की प्रतिभा और आत्मविश्वास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इन बच्चों ने यह साबित कर दिया है कि समर्थता दृष्ट में नहीं, बल्कि संकल्प में होती है।

बच्चों ने जिस आत्मविश्वास, सृजनशीलता के साथ अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, वह राष्ट्र की नई चेतना व आत्मनिर्भर भारत के भाव को व्यक्त करता है। कहा कि इन बच्चों में वही ऊर्जा, वहीं क्षमता और वही जुनून है, जो एक सशक्त व विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं। आज का भारत एक परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विकसित भारत-2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। आप सभी से अनुरोध है कि आप राष्ट्र सर्वाेपरी के मंत्र को आत्मसात करें।