विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचण्ड बहुमत से वापसी कराकर इतिहास लिख चुके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लोकसभा चुनाव में फिर नायक बनकर उभरे हैं। राज्य में अकेले मुख्यमंत्री धामी ने राज्य में 90 से ज्यादा जनसभाएं, रोड शो, कार्यकर्ता मिलन कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर पार्टी चुनावी मोर्चे पर अंतिम दिन तक डटे रहे। मुख्यमंत्री धामी ने एक दिन में 3 से 4 रिकॉर्ड कार्यक्रमों में प्रतिभाग कर सरकार और संगठन में समन्वय की मिसाल कायम की है। इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी और संगठन के बीच बेहतर समन्वय का परिणाम है कि केंद्रीय नेतृत्व ने भी राज्य की पांचों लोकसभा सीट पर गंभीरता से प्रचार किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने 70 विधानसभाओं में करीब डेढ़ सौ से ज़्यादा जनसभाएं, रोड शो, कार्यकर्ता मिलन कार्यक्रम कर सरकार की उपलब्धियों पर वोट मांगे। जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रचार की बात करें तो केंद्रीय नेतृत्व ने पहले टिकट बंटवारे में देरी, फिर प्रचार में औपचारिकता भर जिम्मेदारी निभाने का काम भी पूरा नहीं किया है। कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की लंबी सूची तो जारी की, लेकिन राज्य में एंट्री सिर्फ प्रियंका गांधी की हुई। प्रियंका की दो लोकसभा सीट पर चुनावी जनसभा कर कांग्रेस ने प्रचार की जिम्मेदारी की इतिश्री कर दी। सचिन पायलट ने भी हल्द्वानी में रोड शो कर केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जबकि अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने यहां कदम तक नहीं रखा। राज्य में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अपने बेटे की हरिद्वार सीट से बाहर नहीं निकल पाए। हालांकि, कुछ स्थानों पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने जरूर उपस्थिति दर्ज कराई।
पौड़ी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल को छोड़ दिया जाए तो बाकी सीटों पर अंदाज लगाया जा सकता है कि कांग्रेस ने ये लोकसभा चुनाव कितनी गंभीरता से लड़ा और कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष देवभूमि के मतदाताओं का कितना सम्मान है। बहरहाल, राज्य की हितैषी बताने वाली कांग्रेस देवभूमि के दंगल से इस बार भी दूर ही नज़र आई।