न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश नसीम अहमद की अदालत ने चेक बाउंस के सात वर्ष पुराने मामले में निचली अदालत से हुई सजा को बरकरार रखते हुए अपना फैसला सुनया है।
अधिवक्ता रूद्राक्ष शर्मा ने बताया कि सोनिया पुत्री शिव मोहन जौहरी निवासी कृष्णानगर कॉलोनी ऋषिकेश और रीता देवी पत्नी कैलाश निवासी कृष्णा नगर कॉलोनी ऋषिकेश एक-दूसरे को पूर्व से ही जानते थे। रीता देवी ने सोनिया से किसी काम के लिए एक लाख 60 हजार रूपये उधार मांगे, जिसे समय रहते वापस देने की बात कही। अधिवक्ता ने बताया कि तय समय पर उधार की धनराशि न लौटाने पर सोनिया ने रूपये वापस मांगे तो रीता देवी ने एक चेक 07 सितंबर 2026 को दिया। जो बाउंस हो गया। इसके बाद से मामला न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत में चला। जिस पर तत्कालीन न्यायाधीश उर्वशी रावत की अदालत ने वर्ष 2022 में अपना फैसला सुनाते हुए रीता देवी को तीन माह की सजा और 1 लाख 75 हजार रूपये की जुर्माना लगाया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत के इस फैसले के विरूद्ध रीता देवी ने न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में अपील की। जिस पर बुधवार को फैसला सुनाया गया।
अधिवक्ता रूद्राक्ष शर्मा की मजबूत पैरवी की बदौलत प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा दी गई सजा को बरकरार रखा। न्यायाधीश के समक्ष अधिवक्ता रूद्राक्ष शर्मा ने यह साबित कर दिखाया कि रीता देवी ने सोनिया से एक लाख 60 हजार रूपये की धनराशि उधार ली, जो वक्त रहते नहीं लौटाई। जबकि रीता देवी न्यायालय के समक्ष अपनी बात को प्रस्तुत करने में नाकाम रही।