आस्था की नगरी अयोध्या में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ पहली बार गए तो उनके जाने के सियासी निहितार्थ निकाले जाने लगे हैं।
दरअसल, विवादित ढांचा विध्वंस के बाद अयोध्या जाकर रामलला का दर्शन करने वाले योगी दूसरे मुख्यमंत्री हैं। 15 वर्ष पहले 2002 में राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए रामलला के दर्शन किए थे। यह भी संयोग है कि जाने से एक दिन पहले योगी ने ढांचा विध्वंस के मामले में सीबीआई कोर्ट में पेश होने आए पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत कई प्रमुख लोगों की लखनऊ में अगवानी की। मिशन 2019 में फिर प्रचंड बहुमत से मोदी की सरकार बनाने में जुटी भाजपा और राज्य सरकार के लिए अयोध्या भी एक माध्यम है। सरकार सिर्फ मंदिर मुद्दे पर ही नहीं बल्कि वहां के विकास को लेकर भी सक्रिय है।
योगी ने कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन के साथ ही राम की नगरी अयोध्या को भी नगर निगम का दर्जा देकर अयोध्या के विकास का संकेत दिया है। काशी के साथ ही पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से अयोध्या को जोड़ने का एलान भी इसकी एक कड़ी है। बुधवार को मुख्यमंत्री ने वहां न केवल कानून-व्यवस्था की समीक्षा की बल्कि विकास से जुड़ी करीब 350 करोड़ रुपये की योजनाओं की घोषणा भी अयोध्या के लिए की। जाहिर है कि सरकार, अयोध्या एजेंडे पर गंभीर है और इसे लेकर आगे भी बढ़ रही है।
गंगा की तर्ज पर सरयू आरती भी
योगी ने प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी की गंगा आरती की तर्ज पर सरयू आरती शुरू करने की बात करके पर्यटकों को आकर्षित किया है। योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अयोध्या जाने की पहली पृष्ठभूमि 21 अप्रैल को बनी थी। उस दिन मनिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास के जन्म महोत्सव में आमंत्रित करने के लिए उनके शिष्य कमल नयन दास यहां आए थे। आठ जून तक चलने वाले इस महोत्सव में जाने के लिए योगी ने उसी दिन हामी भर दी थी लेकिन, तब भी उन्होंने प्रतिनिधि मंडल से अयोध्या के विकास पर चर्चा की थी। योगी वहां गए तो विकास परक योजनाओं का प्रस्ताव भी उनके साथ था।
कहीं अयोध्या न बने चुनाव क्षेत्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शपथ लिए करीब ढाई माह बीतने को हैं। शपथ से छह माह में उन्हें विधान मंडल के किसी सदन का सदस्य बनना जरूरी है। गोरखपुर से 1998 से ही जनता के बीच से चुने जाने वाले योगी के लिए यूं तो कई विधायक भी अपनी सीट खाली करने को तैयार हैं लेकिन, भगवान शंकर की नगरी काशी से प्रधानमंत्री की तरह ही राम की नगरी अयोध्या से मुख्यमंत्री के प्रतिनिधित्व की भूमिका भाजपा तैयार कर सकती है। योगी पहले से भी अयोध्या के संतों के बीच आते-जाते रहे हैं।