ऋषिकेश एम्स में खरीददारी घोटाले पर सीबीआई के एक्शन से हड़कंप मच गया है। सीबीआई ने आज को एम्स में ताबड़तोड़ छापेमारी की और फिर दो मामलों में एफआईआर दर्ज कर दी। इन मामलों में 11 अधिकारियों/डॉक्टरों और फर्मों के खिलाफ अलग-अलग आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। इस घोटाले के मामले में आरोपियों के 24 अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी चल रही है।
जिन दो मामलों में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है उनमें ऑटोमेटेड रोड स्वीपिंग मशीन की खरीद और एम्स परिसर में केमिस्ट शॉप खोलने के टेंडर के मामले हैं। 2 फरवरी से 7 फरवरी के बीच एम्स में सीबीआई की छापेमारी में कई अनियमितताएं सामने आई थी। जिन पर एक्शन लिया गया है। इन मामलों में धारा 120बी-, धारा 420 के तहत 11 अफसरों, डॉक्टरों व फर्मों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि एम्स में उपकरणों की खऱीद में भारी धांधली की गई। बिडिंग प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियां की गई ।
दोगुनी कीमत पर खरीदी खराब मशीन
सीबीआई की जांच के मुताबिक एम्स में ऑटोमेटेड रोड स्वीपिंग मशीन की खरीद के लिए डर निकाले गए। इसमें यूरेका फोर्ब्स जैसी कंपनी ने भी हिस्सा लिया। लेकिन तकनीकी खामियां बताते हुए यूरेका को टेंडरिंग से बाहर कर दिया गया। जबकि प्रो मेडिक डिवाइसेस नाम की कंपनी को मशीन खरीद की टेंडरिंग में वॉक ओवर दिया गया। जिस मशीन की कीमत यूरेका ने महज 1 करोड़ बताई थी, एम्स ने उस मशीन को प्रो मेडक कंपनी से दो करोड़ की कीमत पर खरीदा। यही नहीं जो मशीन खरीदी गई वो ठीक से काम भी नही कर पाई। औऱ 124 घंटे चलने के बाद इसकी मेंटिनेंस पर ही करीब साढ़े चार लाख रुपए खर्च किए गए। दावों के बिल्कुल उलट इस मशीन की जांच में इसमें जीपीएस इंस्टॉल भी नहीं था। जांच में ये बात भी निकलकर सामने आई कि इस कंपनी ने एम्स को 2018 में मानव कंकाल उपलब्ध कराए, जिसके लिए तीन महीने में करीब 3 करोड़ वसूले।
कपड़े की फर्म को केमिस्ट शॉप का ठेका
सीबीआई की दूसरी एफआईआर में एम्स में गड़बड़ियों की पोल खुली है। यह मामला एम्स के अंदर केमिस्ट शॉप के संचालन का है। इसके लिए करीब 7 फर्मों ने आवेदन किया। लेकिन इसमें से अनुभव रखने वाली 4 फर्मों को यह कहकर टेंडर से बाहर कर दिया कि उनके पैन कार्ड में इशू है। इसके बाद त्रिवेणीसेवा फार्मेसी नाम की कंपनी कोमेडकल शॉप का टेंडर मिल गया। जांच में यह निकला कि इस क्षेत्र की अनुभवी कंपनी वेंकटेश फार्मा ने केमिस्ट शॉप के लिए करीब 2.5 करोड़ की बिड लगाई थी। लेकिन उसको दरकिनार करके त्रिवेणी फार्मा को महज 50 लाख 40 हजार की बिड पर ठेका मिल गया। सीबीआई की जांच में यह भी सामने आया कि त्रिवेणी सेवा फार्मेसी को केमिस्ट क कोई अनुभव नहीं था। यह कंपनी कपड़े बेचने का कारोबार करती थी। लेकिन टेंडर प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों ने भारी धांधली करते हुए इस कंपनी को टेंडर दिला दिया।