अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल सहित कानून के जानकारों ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के मामले में हाईकोर्ट के फैसले को गलत ठहराया। साथ ही इतने कठोर आदेश देने पर आश्चर्य भी जताया।
सीएम को सीबीआई जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली तो है मगर, मामले में कई गंभीर सवाल पैदा हो रहे है। सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखते हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने तो हाई कोर्ट के निर्णय को गलत बताया ही, कानून के कई जानकारों ने भी हाई कोर्ट के फैसले पर हैरानी जाहिर की है।
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि जब रावत इस मामले में पक्षकार ही नहीं थे और याचिकाकर्ता की तरफ से भी ऐसी कोई याचना नहीं की गई, तब हाई कोर्ट का इतना कठोर आदेश देना आश्चर्यचकित करता है।
आदेश सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ के सदस्य जस्टिस एमआर शाह ने फैसला सुनाते वक्त टिप्पणी भी की कि स्वतः संज्ञान की शक्ति का प्रयोग कर दिया गया हाईकोर्ट का आदेश आश्चर्यचकित करता है। मुख्यमंत्री के वकील मुकुल रोहतगी ने तो इस फैसले को कानून का उल्लंघन बताया है।
कानून के जानकार और सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकार्ड एम पी शोरावाला का मानना है कि हाई कोर्ट को इस तरह का आदेश देने से पूर्व मुख्यमंत्री का पक्ष भी सुनना चाहिए था। इससे मुख्यमंत्री को अपनी बात अदालत के सामने रखने का मौका मिलता।
जानकारों का कहना है कि बिना सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का पक्ष सुने केवल उनके खिलाफ इतना बड़ा फैसला उत्तराखंड की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।