बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार व पत्नी के खिलाफ आयकर विभाग की कार्रवाई होते ही इनके करीबी भूमिगत हो गए हैं। आनंद और करीबियों के खिलाफ आयकर विभाग पुख्ता सबूत एकत्र कर चुका है और कभी भी बड़ी कार्रवाई की जा सकती है। यादव सिंह प्रकरण के दौरान भी आयकर छापे में मिली डायरियों व अन्य सबूतों के माध्यम से आयकर के रडार पर आनंद और उनके सहयोगी चल रहे हैं।
प्रदेश में 2007 से 2012 तक बसपा की सरकार रही थी। उस वक्त कहा जाता था कि लखनऊ से भले ही सरकार चल रही हो, लेकिन इसका रिमोट नोएडा में ही था। आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि किस बिल्डर को जमीन देनी है, किसे इंडस्ट्री या आईटी का प्लॉट देना है या फिर किसी तरह का आवंटन किया जाए यह भाई साहब यानी आनंद की इजाजत के बिना नहीं होता था। खास बात यह रही कि किसी भी आवंटन में लिखित तौर से उनका दखल नहीं होता था, लेकिन बिना उनकी अनुमति से पत्ता भी नहीं हिलता था। पूरी आवंटन की प्रक्रिया करने के लिए आनंद के करीबियों की भूमिका रहती थी। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण में जितनी भी जमीन आवंटित की गई थी, सभी में अप्रत्यक्ष रूप से टीम की भूमिका रही थी। प्राधिकरण के अधिकारी उनके आवास पर फाइलें लेकर दौड़ लगाते रहते थे।
सूत्र बताते हैं कि नवंबर 2014 में जब तीनों प्राधिकरण के तत्कालीन चीफ इंजीनियर यादव सिंह के यहां पर आयकर विभाग का छापा पड़ा था, तब भी अफसरों को यह जानकारी मिली थी कि घोटालों में और लोग भी हैं, लेकिन सीधे तौर से कोई साक्ष्य नहीं मिले थे, लेकिन आयकर विभाग ने इसकी गोपनीय जांच जारी रखी। साथ ही, यादव सिंह समेत उनके अन्य करीबियों के यहां जो दस्तावेज मिले थे, उनमें कहीं न कहीं नाम नाम आया था। आयकर विभाग की टीम ने प्राधिकरण से भी उन सभी दस्तावेज को निकलवा लिया था, जिसमें आनंद कुमार और उनके करीबियों के नाम से आवंटन थे। अब आईटी ने उन संपत्तियों को अटैच करना शुरू कर दिया है।
पांच सितारा होटल बनाने की योजना पर फिरा पानी
आयकर विभाग ने बसपा प्रमुख मायावती के भाई और भाभी का नोएडा स्थित 400 करोड़ रुपये कीमत का बेनामी प्लॉट जब्त किया है। आधिकारिक आदेश के मुताबिक, मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता के लाभकारी मालिकाना हक वाले सात एकड़ प्लॉट को जब्त करने का अस्थायी आदेश आयकर विभाग की दिल्ली स्थित बेनामी निषेध इकाई (बीपीयू) ने 16 जुलाई को जारी किया था।
मायावती ने हाल ही में आनंद को बसपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। 28,328.07 वर्ग मीटर या सात एकड़ का प्लॉट नोएडा के सेक्टर 94 में 2ए से पंजीकृत है। इस जमीन पर पांच सितारा होटल और अन्य लग्जरी सुविधाओं का निर्माण किए जाने की योजना थी। जब्ती का आदेश बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम 1988 की धारा 24 (3) के तहत जारी किया गया। बेनामी कानून का उल्लंघन करने पर सात साल की कैद या बेनामी संपत्ति की बाजार कीमत के हिसाब से 25 फीसदी जुर्माने का प्रावधान है।
आनंद पर रियल एस्टेट में दूसरों के नाम पर निवेश कर करोड़ों रुपये मुनाफा कमाने का भी आरोप है। इस मामले को लेकर आयकर विभाग जांच कर रहा था। साथ ही प्रवर्तन निदेशालय भी इसकी जांच कर रहा है। जांच में आयकर विभाग ने कम से कम छह फर्म के मालिकाना हक को संदिग्ध पाया। जिन कंपनियों की बेनामी संपत्ति के तहत पहचान की गई, वे विजन टाउन प्लानर्स प्राइवेट लिमिटेड, बीपीटीपी इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर प्राइवेट लिमिटेड, यूरो एशिया मर्चेंटाइल प्राइवेट लिमिटेड, सन्नी कास्ट एंड फोर्ज प्राइवेट लिमिटेड, करिश्मा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और एड-फिन कैपिटल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड हैं। आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता इन कंपनियों के जरिये किए गए लेनदेन की इकलौती लाभार्थी हैं।
नोटबंदी के दौरान चर्चा में आए आनंद
आनंद कभी नोएडा प्राधिकरण में मामूली क्लर्क थे। बहन मायावती के सत्ता में आने के बाद उनकी संपत्ति तेजी से बढ़ी। उन पर फर्जी कंपनी बनाकर करोड़ों का कर्ज लेने का भी आरोप लगा था। बसपा शासन के दौरान उन्होंने एक के बाद एक 49 कंपनियां खोलीं। 2014 में उनकी संपत्ति 1316 करोड़ रुपये आंकी गई थी। 2016 में नोटबंदी के दौरान उनके खाते में 1.43 करोड़ रुपये जमा होने पर वह चर्चा में आए थे। जांच एजेंसियां पहले भी उनके घर व कार्यालयों में छापेमारी कर चुकी हैं।