उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में कृषि भूमि की चकबंदी के लिए सरकार थ्री डी मैपिंग कराने जा रही है। इससे कृषि भूमि के खसरा नंबर की वास्तविक स्थिति का पता लग सकेगा। राजस्व विभाग सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से थ्री डी मैप तैयार करवा रहा है। पहाड़ों में चकबंदी न होने के कारण सरकार की अनुबंध खेती की योजना परवान नही चढ़ पा रही है। पौड़ी जनपद के पांच गांवों में भी अभी तक चकबंदी नहीं हो पाई है। अब निर्णय लिया गया है कि इन गांवों में ड्रोन के जरिये एरियल सर्वे कराया जाएगा।
पर्वतीय क्षेत्रों में बिखरी कृषि जोत होने से किसानों को मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है और खेती से मुनाफा कम होने के चलते लोगों का कृषि से रुझान कम हो रहा है। गौरतलब है कि सरकार ने पहाड़ों के लिए आंशिक और स्वैच्छिक चकबंदी को कानूनी रूप से मान्य किया है। लेकिन अभी तक पर्वतीय क्षेत्रों में एक भी गांव में चकबंदी नहीं हो पाई है। सरकार ने पौड़ी जनपद के पांच गांवों से आंशिक व स्वैच्छिक चकबंदी की शुरुआत की है।
इनमें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के गांव खैरासैंण, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गांव पंचूर, कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का गांव औणी समेत दो अन्य गांव शामिल हैं। इन गांवों में कृषि भूमि अभिलेखों का डाटा तैयार कर लिया है। अब ड्रोन से एरियल सर्वे किया जाएगा। प्रदेश में भूमि बंदोबस्त न होने के कारण चकबंदी करने में सबसे बड़ी समस्या आ रही है। एक ही जमीन के गोल खाते में कई हिस्सेदार हैं, लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि उनकी जमीन कहां पर है। अब सरकार चकबंदी को बढ़ावा देने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों में थ्री डी मैपिंग करेगी।
वहीं, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर जनपद में अनिवार्य चकबंदी की प्रक्रिया चल रही है। जिसमें हरिद्वार में 108 और ऊधमसिंह नगर में 50 गांव शामिल हैं। जबकि पर्वतीय जनपद पौड़ी के मात्र पांच गांवों में चकबंदी हो रही है। मैदानी जनपदों की तुलना में पहाड़ों में चकबंदी करना मुश्किल है।
अपर सचिव एवं आयुक्त, चकबंदी, बीएम मिश्र ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में चकबंदी के लिए सर्वे ऑफ इंडिया के माध्यम से थ्री डी मैप तैयार किया जाएगा। इससे पहाड़ों में गोल खातों व बिखरी कृषि जोत की वास्तविक स्थिति सामने आने से चकबंदी में आसानी होगी।
Jan62020