न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश उर्वशी रावत की अदालत ने झूठी रिपोर्ट लिखाकर व्यवसायिक रंजिश निकालने के मामले में आरोपियों को दोषमुक्त किया है। अदालत के समक्ष शिकायतकर्ता सहित अन्य गवाहों के बयान में विरोधाभास पाया गया।
अधिवक्ता शुभम राठी ने बताया कि आठ दिसम्बर वर्ष 2014 को शिकायतकर्ता अशोक कुमार के द्वारा थाना रायवाला में एक तहरीर दी गई। जिसमें शिकायतकर्ता ने बताया कि वह हरिपुरकलां राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल में सुपरवाइजर के पद पर है और उनके विभाग की बजरी तीन व्यक्ति द्वारा ट्रैक्टर में भरी गई। जिसका उन्होंने विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की गई और जान से मारने की धमकी दी गई। थाना रायवाला ने तहरीर के आधार पर शेखर मलिक, ज्ञानेंद्र उर्फ ज्ञानी मलिक, गगन मलिक उर्फ गंगू तीनों पुत्र स्वर्गीय मुंशी मलिक के खिलाफ जान से मारने की धमकी और मारपीट के मामले में मुकदमा दर्ज किया था। अधिवक्ता ने बताया कि यह मामला तब से अब तक न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश की अदालत में विचाराधीन था। इस मामले में न्यायालय ने पाया कि चक्षदर्शी के साक्ष्यों के साक्ष्य में विरोधाभास बयान दिए गए।
अधिवक्ता शुभम राठी ने न्यायालय में यह साबित किया कि शिकायतकर्ता ने गलत रिपोर्ट थाने में लिखवाई है। शिकायतकर्ता कोई लोक सेवक नहीं है। वह पुलिस द्वारा बनाये गये आरोपियों से व्यावसायिक रंजिश रखता है। इसके अलावा मोके की घटना पर अलग अलग बयान गवाहों द्वारा दिए गए।
तमाम दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषमुक्त किया है।