अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में विभाग की ओर से ‘‘चेंजिंग पैराडाइम-एफेरेसिस डोनेशन” विषय पर ऑनलाइन सीएमई का आयोजन किया गया। वेब सम्मेलन के माध्यम से विशेषज्ञों ने रक्तदाताओं को एफेरेसिस डोनेशन के बाबत जागरुक किया। उन्होंने कहा कि रक्तदान से दाता को शारीरिक व अन्य किसी भी रूप से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, ऐसा करने से एक व्यक्ति तीन लोगों को जीवनदान दे सकता है। इस दौरान संस्थान की ओर से रक्तवीरों को ई-प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर 50 बार से अधिक स्वैच्छिक रक्तदान करने के लिए पूर्व पार्षद रवि कुमार जैन, पार्षद राजेंद्र सिंह बिष्ट, व्यापार मंडल के अध्यक्ष ललित मोहन मिश्र एवं अधिवक्ता अमित कुमार वत्स व गोपाल नारायण को सम्मानित किया गया।
सीएमई में संस्थान के निदेशक और सीईओ प्रो. रविकांत ने बताया कि रक्तदान के समान कोई दूसरा महान दान नहीं है। उन्होंने बताया कि रक्तदान करने वाला व्यक्ति के इस संकल्प से किसी रक्त की जरुरत से जूझ रहे व्यक्ति को जीवनदान मिल सकता है। रक्तदाताओं के इस सराहनीय कार्य से मरीजों की रक्त की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
डीन एकेडमिक्स प्रो. मनोज गुप्ता ने बताया कि स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति सामाजिक जनजागरण में शिक्षाविदों, शिक्षण व सीखने से जुड़ी तमाम गतिविधियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक नागरिक को नियमितरूप से रक्तदान के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रोफेसर यूबी मिश्रा का मानना है कि अस्पताल में स्थित ब्लड बैंक पर हमेशा मरीजों की रक्त संबंधी मांग पूरी करने का दबाव रहता है। ऐसी स्थिति में स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों की अच्छी संख्या होने पर हम आपात स्थिति में जरुरतमंद को रक्त उपलब्ध कराने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
संस्थान के कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. के. बस्तिया ने एम्स के रक्तदान चिकित्सा विभाग की नियमितरूप से रक्तदान शिविरों के आयोजन के लिए सराहना की।
सम्मेलन में विभाग की डॉ. दलजीत कौर और डॉ. आशीष जैन ने बताया कि स्वैच्छिक रक्तदाताओं को एफेरेसिस दान के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। एफेरेसिस खासतौर से प्लेटलेटफेरेसिस के मांग बढ़ रही हैं और इस आवश्यकता को सम्पूर्ण रक्तदाताओं के सहयोग से ही पूरा किया जा सकता है, जिससे उन्हें नियमिततौर पर प्लेटलेटफेरेसिस दाताओं में परिवर्तित किया जा सके। सम्मेलन में डॉ. संजय उप्रेती, डॉ. शीतल मल्होत्रा, डॉ. सुशांत कुमार मेनिया, डॉ. विभा गुप्ता, डॉ. मनीष रतूड़ी, डॉ. विनय कुमार तथा एलुमनाई रेसिडेंट्स डॉक्टर्स ने भी व्याख्यान दिया।