भारतीय सहित्य संगम के तत्वावधान में गूगल मीट पर ऑनलाइन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जेएमसी शासकीय महिला महाविद्यालय मंडला मध्य प्रदेश के प्राचार्य प्रोफेसर शरद नारायण खरे, विशिष्ट अतिथि शंखनाद वेब न्यूज़ उत्तराखंड के संपादक भारतेंदु शंकर पांडे तथा अध्यक्षता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद की संयुक्त सचिव मंजू पांडे ’महक जौनपुरी’ ने की।
देशभर से जुटे कवियों ने काव्य धारा बहाते हुए समसामयिक विषयों पर रचनाएं प्रस्तुत की।
भारतीय साहित्य संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कार्यक्रम संयोजक डॉ धीरेंद्र रांगड़ ने शब्दों का कारवां की 110वीं श्रंखला पर साहित्य मनीषियों को स्वागत किया तथा हिन्दी पखवाड़ा की शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम में अरुणा वशिष्ठ द्वारा सुमधुर वाणी में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई।
आमन्त्रित रचनाकारों ने राष्ट्र भाषा हिंदी की महत्वता पर अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। इस अवसर पर कवि डॉ अशोक गुलशन ने हिन्दी भाषा है सभी भाषाओं की जान, इसको पढ़ करके हुये, तुलसी-सूर महान। शम्भु प्रसाद भट्ट स्नेहिल ने भारतीयता की पहिचान, हिंदी बिना अधूरी है। इसीलिए हिंदी की शिक्षा, सबके लिए जरूरी है। डॉक्टर धीरेंद्र रांगड़ ने मैं दीवाना हिंदी का और तू दीवाना हिंदी का, ये जग दीवाना हिंदी का वो रब दीवाना हिंदी का की शानदार प्रस्तुति दी। महक जौनपुरी ने ग़ैर के ग़म से जो बाख़बर हो गया, जग में सच है वो आला बशर हो गया, मनोज कुमार गुप्ता आचार्य मनुश्री ने साहित्य से कैसी ढिढोली हो रही है, जिसे देख मेरी कलम रो रही है, राजेश डोभाल राज ने सब्र करता रहा मुद्दतों से यूं ही कागज, सब्र टूटा तो सरे बाजार फट गया कागज, अरुण कुमार शास्त्री ने कितनी हंसी है ये जिन्दगी के जबसे, तुमने ये कहा है तेरे होने से सब कुछ यहां है। कवि उमेश पटेल श्रीश ने खड़े हैं बीच चौराहे पर अपनी मंजिल की राह भूलकर, सोचते हैं इन राहों में से कोई राह मेरी मंजिल की भी होगी रचनाये प्रस्तुत की।
इसके अतिरिक्त आमंत्रित कविगणों में डॉ. बालकृष्ण पांडेय, प्रयागराज, डॉ वर्षा पुनवटकर, वर्धा महाराष्ट्र, बबिता शर्मा, कोटा, राजस्थान, डॉ. सत्यानन्द बडोनी, देहरादून, शिवकुमार चंदन, रामपुर उ.प्र., डॉ देवीदीन अविनाशी, हमीरपुर, नवीन डिमरी बादल, कर्णप्रयाग, शिव प्रसाद बहुगुणा आदि ने भी शानदार प्रस्तुति दी। कवि सम्मेलन का संचालन शंभू प्रसाद भट्ट ने किया।