कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) विवेक श्रीवास्तव की अदालत से गैर जमानती वारंट जारी हुआ है। यह वारंट दस साल पुराने उत्तराखंड विधानसभा का घेराव कर हंगामा करने के मामले में जारी हुआ है। वन मंत्री के अलावा वारंट तीन अन्य के खिलाफ भी जारी किया गया है। यह सभी आरोपित सम्मन जारी होने के बाद भी तारीखों पर लगातार गैर हाजिर चल रहे थे। वहीं, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय सोमवार को कोर्ट में पेश हुए और उन पर आरोप भी तय कर दिए गए।
सहायक लोक अभियोजक अनूप कुमार ने अदालत को बताया कि दिसंबर 2009 में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य और सुबोध उनियाल कांग्रेस में रहते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ विधानसभा कूच कर रहे थे। तब राज्य में भाजपा की सरकार थी। पुलिस ने इन सभी को रिस्पना पुल पर बेरिकेडिंग कर रोक लिया। इससे आक्रोशित नेताओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की और उत्तेजक नारे लगाए। इससे शांति व कानून व्यवस्था बिगड़ गई। मामले में उस समय 25 लोगों के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया।
साल 2013 से इस मामले में सुनवाई चल रही है। बीते साल सितंबर माह में बीस आरोपितों पर आरोप तय कर दिए गए, जबकि हरक सिंह रावत, किशोर उपाध्याय, सतपाल ब्रह्मचारी, शंकर चंद रमोला और विनोद रावत के लगातार अनुपस्थित रहने के कारण इन सभी की पत्रावली अलग कर दी गई। सोमवार को मामले में सुनवाई थी, लेकिन किशोर उपाध्याय को छोड़ कोई भी अदालत नहीं पहुंचा। इस पर अदालत ने हरक समेत चार के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए।