केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में उच्च शिक्षा में शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी उपस्थित रहे।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने देश में सबसे पहले राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए उत्तराखण्ड सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखण्ड में उच्च शिक्षा में इसका शुभारम्भ किया गया है। बाल वाटिका से प्रारम्भिक शिक्षा में उत्तराखण्ड ने ही इसकी सबसे पहले शुरुआत की। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड विद्वानों की भूमि है। इस देवभूमि से नई शिक्षा नीति के बेहतर क्रियान्वयन के लिए अभी अनेक विचार आयेंगे। अब प्रयास करने होंगे कि आने वाले समय में शत प्रतिशत बच्चे बाल वाटिकाओं में प्रवेश करें। उन्होंने कहा कि किसी भी देश एवं समाज का विकास बेहतर शिक्षा से ही हो सकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मानवीय जीवन के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है। शिक्षा के साथ ही बच्चों के कौशल विकास, उनके व्यक्तित्व के विकास, भाषाई विकास एवं नैतिक मूल्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है। शिक्षा व्यक्ति की आत्मनिर्भरता से जुड़ी हुई है।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बच्चों को 3 साल से फार्मल एजुकेशन से जोड़ा जा रहा है। इसके तहत बाल वाटिका शुरू की गई है, बाल वाटिका में 3 साल सीखने के बाद बच्चा पहली कक्षा में प्रवेश करेगा, तब उसकी उम्र 6 साल होगी। बच्चों को नवजात से उनकी 21-22 साल की उम्र तक बेहतर एवं गुणात्मक शिक्षा के लिए उत्तराखण्ड में 40 लाख बच्चों का टारगेट लेकर आगे बढ़ना होगा। स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकि शिक्षा,मेडिकल, पेरामेडिकल एवं अन्य को मिलाकर 35 लाख की व्यवस्था उत्तराखण्ड के पास पहले से ही है। उन्होंने कहा कि देश डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से बढ़ा है। उच्च शिक्षा की दिशा में उत्तराखण्ड में जो नीति बन रही है, वह इस दिशा में बहुत बड़ा कदम है। प्रदेश के नौजवानों को विश्व की आवश्यकता के लिए तैयार कराना, यह उत्तराखण्ड के पास ताकत है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किए जाने के की दिशा में, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रभावी एवं चरणबद्ध रूप से सकारात्मक कदम बढ़ाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में तैयार की गई नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के नवीन, आधुनिक, सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के नए आयाम खोलने वाली नीति है। इसे देश के ख्यातिलब्ध शिक्षाविदों द्वारा तैयार किया गया है और ये नए भारत की, नई उम्मीदों नई आवश्यकताओं की पूर्ति का सशक्त माध्यम है। यदि हम एक समृद्ध भविष्य चाहते हैं तो हमने अपने वर्तमान को सशक्त बनाना होगा, ठीक इसी प्रकार से यदि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को और भी अधिक प्रतिभाशाली बनाना चाहते हैं तो हमें उसके बचपन और उसकी शिक्षा पर आज से कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत ने सम्पूर्ण विश्व को ज्ञान देने का कार्य किया है। हमारे नालंदा और तक्षशिला जैसे अद्वितीय शिक्षा मंदिर पूरी दुनिया में कहीं नहीं थे और यहां से ज्ञान अर्जित करने वालों ने संपूर्ण मानवजाति को एक नई राह दिखाई। हमारे देश में मेधा की कभी कोई कमी नहीं रही और एक से एक विद्वानों और शिक्षाविदों ने भारत की बौद्धिक संपदा को विस्तार दिया। लेकिन कालांतर में आए विदेशी आक्रांताओं और शासकों ने हमारी शिक्षा व्यवस्था पर ही सबसे अधिक चोट की और इसको तहस-नहस कर दिया। उस दौर में व्यवस्थाएं ऐसी बना दी गईं जिसके बाद से पढ़ाई का अर्थ और लक्ष्य केवल और केवल नौकरी पाने तक सीमित हो कर रह गया। उन्होंने कहा कि 2025 में राज्य स्थापना की रजत जयंती मनाई जायेगी। तब तक हम बेस्ट प्रैक्टिस के तौर पर क्या कर सकते हैं, जो देश के लिए आदर्श बने इस दिशा में सभी विभागों को तेजी से कार्य करने होंगे।
सूबे के विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने राज्य में एनईपी-2020 लागू किये जाने का श्रेय विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया। उन्होंने कहा कि इन लोगों की मेहनत का नतीजा है कि आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया जा सका। डॉ रावत ने बताया कि एनईपी-2020 के अंतर्गत उच्च शिक्षण संस्थानों में वर्तमान शैक्षणिक सत्र से प्रवेश शुरू कर दिये गये हैं। इसके लिये नई नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार किये गये हैं। विभागीय मंत्री ने बताया कि नई नीति के क्रियान्वयन के लिये राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया साथ ही स्क्रीनिंग कमेटी और कैरिकुलम डिजाइन समिति गठित की गई। जिनकी विभिन्न स्तर पर कई दौर की बैठकों और पब्लिक डोमेन से मिले सुझावों के उपरांत बाद पाठ्यक्रम तैयार किया गया। जिसे सभी विश्वविद्यालयों की बीओएस, एकेडमिक काउंसिल और एग्जेक्युटिव कमेटी द्वारा अप्रूव्ड किया गया। उन्होंने बताया कि नई नीति के तहत छात्र-छात्राओं को च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम का लाभ मिलेगा और अब वह अपने मनपसंद विषय और विश्वविद्यालय चुन सकेंगे। डॉ रावत ने बताया कि नए पाठ्यक्रम रिसर्च, इनोवेशन और इंटरप्रेन्योरशिप बेस्ड होंगे। इसमें रोबोटिक्स जैसे एडवांस कोर्स रखे गये हैं। उन्होंने बताया कि को-कैरिकुलम कोर्स के 6 सेमेस्टरों के प्रत्येक सेमेस्टर में भारतीय ज्ञान परम्परा, कम्युनिकेशन स्किल, इन्वायरमेंट, मैनेजमेंट पैराडाइज ऑफ भागवत गीता, योगा, विवेकानंद स्टडीज, पर्सनली डेवलपमेंट, रामचरितमानस, ट्रेडिशनल नॉलेज, वैदिक साइंस और वैदिक गणित जैसे कोर्स भी रखे गये हैं।
इस अवसर पर विधायक उमेश शर्मा काऊ, विनोद चमोली, विनोद कण्डारी, मेयर सुनील उनियाल गामा, सचिव शैलेश बगोली, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षा एवं उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
Oct162022