एम्स ऋषिकेश में भ्रष्टाचार और आउटसोर्सिंग के जरिये अब तक हुयी नियुक्तियों में अनियमितता का आरोप लगाते हुये उत्तराखंड जन विकास मंच के सदस्यों ने एसडीएम के समक्ष प्रदर्शन किया। मंच से जुड़े कई कार्यकर्ताओं ने अपनी गिरफ्तारी भी दी। जिन्हें बाद में निजी मुचलके पर रिहा किया गया। विदित हो कि मंच का आंदोलन पिछले पांच माह से भी अधिक समय से चल रहा है। मंच की इस आंदोलन को समर्थन तो बहुत मिल रहा है। मगर, शासन की ओर से कोई भी कदम नहीं उठाया गया। मंच ने एम्स के निदेशक की भूमिका पर संदेह जताते हुये पीएम को ज्ञापन भेज जांच की मांग की।
उत्तराखंड जन विकास मंच के कार्यकर्ता उप जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने एम्स प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। मंच के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने उप जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को प्रेषित ज्ञापन कर कहा कि एम्स में संविदा व आउटसोर्सिग के माध्यम से की जा रही ग्रुप सी व डी की नियुक्तियों में 70 प्रतिशत प्राथमिकता स्थानीय बेरोजगारों को दी जानी चाहिए। मगर, एम्स में नियुक्तियों की आड़ में खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में नियुक्ति को लेकर निकाली गई विज्ञप्ति रद्द कर दी गयी और अभ्यर्थियों का पैसा नहीं लौटाया गया। उत्तराखंड वासियों से फार्म फीस के नाम पर ज्यादा वसूली हो रही है। ज्ञापन में कहा गया कि बीते वर्ष बीएससी नर्सिंग के पदों पर विज्ञप्ति जारी हुई। भारत की यह पहली ऐसी परीक्षा रही, जिसमें कोई भी सफल नहीं हुआ। इस वर्ष फिर विज्ञप्ति जारी की गयी। जिसके भीतर कोई परीक्षा नहीं हुई है। मंच ने निदेशक की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुये जांच की मांग की है।
गिरफ्तारी और प्रदर्शन में पूर्व विधायक ओमगोपाल रावत, राजेश व्यास, जयेन्द्र रमोला, हिमांशु बिजल्वाण, सरोज डिमरी, राधा रमोला, देवेन्द्र बैलवाल, जनार्दन तिवारी, भगतराम कोठारी, सत्यवीर तोमर, सुभाष जखमोला, नीरज सहरावत आदि शामिल हुए।