न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश ने लापरवाही से वाहन चलाने के सात सात पुराने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए आरोपी को साक्ष्यों के विरोधाभास होने पर दोषमुक्त किया है। मामला वर्ष 2015 का है जो थाना रायवाला में दर्ज किया गया था।
रायवाला पुलिस ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में बताया कि 20 अगस्त 2015 को शिकायर्ती महिला अनिता उनियाल ने तहरीर दी। बताया कि उनके पति अकेले अपनी मोटरसाइकिल यूके014-9465 से ऋषिकेश से रायवाला की ओर जा रहे थे। आरोप लगाया कि विपरीत दिशा से छोटा हाथी आया और उनके पति को जोरदार टक्कर मारकर भाग गया। उनके पति को राजकीय चिकित्सालय ले जाया गया। इस मामले में पुलिस ने लापरवाही से वाहन चलाने पर विनोद पुत्र रामसेवक पर लापरवाही से वाहन चलाने सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
मामले में पीड़ित पक्ष के पति गिरीश चंद उनियाल की 23 अगस्त 2015 को अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी।
अधिवक्ता पवन शर्मा ने न्यायालय को इस मामले में विभिन्न तर्क दिए।
1. बताया कि पुलिस द्वारा मौके पर जो नक्शा नजरी बनाई गई, वह चश्मदीनों की मौजूदगी के बजाए वादिनी की मौजूदगी में बनी है, जबकि वादिनी घटना के वक्त अपने मृतक पति के साथ नहीं थी। लिहाजा उन्हें घटनास्थल की सही से जानकारी न होने के कारण पुलिस का नक्शा नजरी बनाना संदेहापरक है।
2. अधिवक्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि आरोपी विनोद पुत्र रामसेवक 20 अगस्त 2015 को न ही वाहन चला रहा था और न ही घटना स्थल पर मौजूद था, ऐसे में पुलिस द्वारा यह कहना कि विनोद द्वारा लापरवाही से वाहन चलाना गलत है।
3. अधिवक्ता ने न्यायालय को यह भी बताया कि वादिनी की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों में विरोधाभास है, दरअसल जिन्हें पुलिस चश्मदीन गवाह बता रही है, उन सभी ने अपने बयानों में घटना होते देखने से स्वीकार नहीं किया है।
वहीं, न्यायिक मजिस्ट्रेट उर्वशी रावत ने तमाम दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने माना कि अभियोजन पक्ष की ओर से जो साक्ष्य प्रस्तुत किए गए, उन सभी में विरोधाभास है। अतः न्यायालय ने मजबूत सबूतों के अभाव में आरोपी विनोद पुत्र रामसेवक निवासी चंद्रेश्वर नगर धोबीघाट को दोषमुक्त किया है।