टीएचडीसी में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी केन्द्र सरकार

केंद्र सरकार ने अपनी कई कंपनियों का निजीकरण करने की पूरी तैयारी कर ली है। दिपावली से पहले इसका खाका तैयार किया जा रहा है। वहीं अब नई पॉलिसी के तहत नीति आयोग, विनिवेश और पब्लिक असेट मैनेजमेंट विभाग (दीपम) को नोडल विभाग बना दिया गया है।
पब्लिक असेट मैनेजमेंट विभाग की भूमिका बढ़ने के बाद अब जिन मंत्रालयों के अंदर यह कंपनियां आती हैं, उनकी किसी तरह की कोई भूमिका नहीं रहेगी। दीपम, नीति आयोग के साथ मिलकर के उन कंपनियों को देखेगा, जिनमें सरकार अपनी हिस्सेदारी घटा सकती है। वहीं दीपम विभाग के सचिव विनिवेश के लिए बने अंतर-मंत्रालय समूह के उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जिन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचेगी, उनकी दो चरणों में बोली लगेगी। पहले चरण में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) मंगाया जाएगा और दूसरे चरण में वित्तीय बोलियां मांगी जाएंगी। पहले चरण के लिए सरकार इच्छुक कंपनियों के साथ बैठक और रोड शो भी करेगी। विनिवेश का पूरा चरण चार से पांच माह में पूरा हो जाएगा।
जिन कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदारी को बेचने जा रही है, उनमें प्रमुख तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) भी शामिल है। इसके अलावा भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल), कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकोर) और शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं। कंटेनर कॉरपोरेशन में 30 फीसदी हिस्सा बेचने को मंजूरी दी गई है।
केंद्र सरकार इसके अलावा टीएचडीसी और नीपको में अपनी हिस्सेदारी को एनटीपीसी को बेचने जा रही है। विनिवेश पर हुई सचिवों की बैठक में कुल आठ सचिव शामिल थे. इनमें दीपम, कानून सचिव, रेवेन्यू सेक्रेटरी, एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी, कॉरपोरेट अफेयर सेक्रेटरी भी शामिल रहे।
इस विनिवेश को करने के बाद सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) का प्रारुप तैयार करेगी। इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने मंत्रियों का समूह एक पखवाड़े में फैसला लेगा। सरकार एयर इंडिया की 30 हजार करोड़ रुपये की उधारी को अपने ऊपर लेगी। ईओआई से निवेशकों को पूरी तरह से पारदर्शिता मिलेगी।
बीपीसीएल की नेटवर्थ फिलहाल 55 हजार करोड़ रुपये है। अपनी पूरी 53.3 फीसदी बेचकर के सरकार का लक्ष्य 65 हजार करोड़ रुपये की उगाही करने का है। इसके लिए ससंद से भी मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। पिछले साल सरकार ने ओएनजीसी पर एचपीसीएल के अधिग्रहण के लिए दबाव डाला था। इसके बाद संकट में फंसे आईडीबीआई बैंक के लिए निवेशक नहीं मिलने पर सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में एलआईसी को बैंक का अधिग्रहण करने को कहा था। सरकार विनिवेश प्रक्रिया के तहत संसाधन जुटाने के लिये एक्सचेंज ट्रेडिड फंड (ईटीएफ) का भी सहारा लेती आई है।