क्राईम

चेक बाउंस मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए अहम निर्देश, जानिए अधिवक्ता कार्तिक पांडेय से….

चेक बाउंस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम दिशा निर्देश जारी किए है। आइए जानते हैं देहरादून के अधिवक्ता कार्तिक पांडेय से…

सुप्रीम कोर्ट ने संजबीज तारि बनाम किशोर एस. बोरकर (2025) मामले में चेक बाउंस से जुड़ी धारा 138 के तहत एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि अनौपचारिक या नकद ऋण भी वैध माने जाएंगे, भले ही वे आयकर कानून का तकनीकी उल्लंघन करते हों। न्यायालय ने साथ ही मानकीकृत सारांश, ई-समन, त्वरित सुलह, और संध्याकालीन न्यायालय जैसे कई प्रक्रियात्मक सुधारों के लिए दिशानिर्देश दिए हैं। यह फैसला छोटे व्यापारियों, किसानों और आम जनता के लिए चेक को एक भरोसेमंद कानूनी माध्यम के रूप में स्थापित करता है।

हाल ही में दिए गए संजबीज तारि बनाम किशोर एस. बोरकर (2025 INSC 1158) के निर्णय में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 के अंतर्गत चेक अनादरण मामलों से संबंधित विकसित होते न्यायशास्त्र को एक महत्वपूर्ण दिशा प्रदान की है। यह निर्णय केवल शिकायतकर्ता पक्ष के पक्ष में साक्ष्य संबंधी धारणा को सुदृढ़ नहीं करता बल्कि अनौपचारिक नकद वित्तीय लेनदारी की कानूनी वैधता, पुनरीक्षण न्यायालय की सीमाओं तथा मामलों के शीघ्र निस्तारण हेतु प्रक्रियात्मक सुधारों को भी स्पष्ट करता है।

बढ़ते शहरीकरण और व्यापारिक गतिविधियों के चलते आज ऐसे अनेक मामले देखने को मिलते हैं जहाँ अनौपचारिक वित्तीय व्यवहार आम बात है। खासकर शहरों में जहाँ व्यक्तिगत और व्यापारिक ऋण के रूप में चेकों का प्रचलन अत्यधिक है, यह निर्णय आम जनता, अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों के लिए समयोचित मार्गदर्शन प्रस्तुत करता है।

इस फैसले का मूल आधार परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 118 और 139 के अंतर्गत दी गई सांविधिक धारणा को सुदृढ़ करना है। एक बार जब चैक का निष्पादन अभियुक्त द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है या वह सिद्ध हो जाता है, तो यह माना जाता है कि वह चेक एक वैध और लागू ऋण या दायित्व के निर्वहन के लिए जारी किया गया था। यद्यपि यह धारणा खंडनीय है, परंतु इसे कैवल अनुमानित दलीलों के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता; अभियुक्त को इसके लिए ठोस, विश्वसनीय और प्रमाणिक साक्ष्य प्रस्तुत करना आवश्यक होगा। सर्वोच्च न्यायालय की यह व्याख्या उन निराधार और काल्पनिक दावों पर रोक लगाती है जो अभियुक्त द्वारा अक्सर एक ढाल के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं। यह निर्णय न्यायिक दृष्टिकोण को अधिनियम के उ‌द्देश्य के अनुरूप लाता है, जो परक्राम्य लिखतों की विश्वसनीयता बनाए रखने का है।

इस निर्णय में एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न पर भी विचार किया गया, क्या ₹20,000 से अधिक की नकद राशि में दिया गया ऋण, जो संभवतः आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 269SS का उल्लंघन करता है, परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत कानूनी रूप से लागू ऋण माना जाएगा? न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि भले ही इस तरह का लेन-देन आयकर अधिनियम के तहत दंडनीय हो, यह ऋण स्वयं में अवैध नहीं हो जाता और उसके आधार पर चेक अनादरण के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

यह स्पष्टीकरण विशेष रूप से उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए प्रासंगिक है जहाँ व्यापारियों कृषकों एवं लघु उद्यमियों के बीच ऋण लेन-देन प्रायः मौखिक या अनौपचारिक तरीके से होते हैं और उनका वित्तीय दस्तावेजीकरण सीमित होता है। इस निर्णय से ऐसे लोगों को यह भरोसा मिला है कि उनके वैध ऋण की वसूली अब तकनीकी आपत्तियों की भेंट नहीं चढ़ेगी। साथ ही अभियुक्तों को कर-कानून की तकनीकी त्रुटियों का सहारा लेकर आपराधिक दायित्व से बचने का रास्ता भी नहीं मिलेगा।

न्यायालय ने इस निर्णय के माध्यम से केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी तक ही सीमित न रहते हुए व्यापक प्रणालीगत सुधारों की भी बात की है। चेक अनादरण के मामलों की संख्या बढ़ने और उनके दीर्घकालिक निस्तारण से उत्पन्न न्यायिक चुनौतियों को देखते हुए न्यायालय ने कई दिशानिर्देश प्रस्तुत किए हैं ताकि प्रक्रिया को सुगम तेज और प्रभावी बनाया जा सके।

इन प्रमुख दिशानिर्देशों में शामिल हैं:

शिकायत पत्र के साथ एक मानकीकृत सारांश संलग्न किया जाना, जिससे शिकायत की संक्षिप्त जानकारी तुरंत न्यायालय को उपलब्ध हो सके।

शिकायतकर्ता द्वारा दस्ती समन की व्यवस्था को अनिवार्य बनाना ताकि अभियुक्त को समय पर समुचित सूचना प्राप्त हो।

समन की तामील हेतु इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे वॉट्सएप ईमेल आदि को अपनाना।

प्रारंभिक चरण में ही पक्षों को सुलह हेतु प्रोत्साहित करना जिससे मुकदमा लंबित न रहे।

उच्च न्यायालयों द्वारा अविलंब प्रथात्मक दिशा-निर्देश जारी करना तथा संध्याकालीन न्यायालयों के लिए यथार्थपरक आर्थिक मानदंड निर्धारित करना अपेक्षित है।

ऑनलाइन भुगतान प्रणालियों और केस डैशबोर्ड की स्थापना कर न्यायालयीन कार्यवाही की निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।

इन उपायों से न केवल मुकदमों का समयबद्ध निपटारा सुनिश्चित होगा, बल्कि अभियुक्तों को प्रारंभिक चरण में ही अपने दायित्वों का निर्वहन करने हेतु अवसर भी मिलेगा।

आम जनता के दृष्टिकोण से देखें तो यह निर्णय एक स्पष्ट संदेश देता है कि चेक केवल कागज के टुकड़े नहीं हैं, बल्कि इनमें विधिक बल और दायित्व निहित होता है। इस फैसले से उन लोगों का विश्वास पुनर्स्थापित होता है जो छोटे व्यापार, कृषि अथवा सेवा क्षेत्र में चेक के माध्यम से लेन-देन करते हैं। साथ ही, यह निर्णय बैंकिंग प्रणाली और न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को भी दृढ़ करता है, जो कि किसी भी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है।

More from क्राईम

“मिलावट पर जीरो टॉलरेंस”, सीएम धामी के निर्देशों पर प्रदेशभर में मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ अभियान लगातार जारी

त्योहारी बाजारों में मिठाइयों की बढ़ती मांग के बीच उत्तराखंड सरकार ने मिलावटखोरों पर सख्ती की रणनीति अपना ली है। मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में चलाया जा रहा यह व्यापक अभियान न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, … read more

सीएम धामी के सख्त निर्देश, बच्चों की सुरक्षा के लिए कफ सिरप बिक्री पर सख्त निगरानी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के सख्त दिशा-निर्देशों पर उत्तराखंड में बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर औषधि विभाग ने बड़ा अभियान हुआ छेड़ा है। औषधि विभाग ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता … read more

हरिद्वार मामलाः ग्राम सराय स्थित भूमि के क्रय में अनियमितताओं से संबंधित प्रकरण पर सरकार ने कार्रवाई की तेज

नगर निगम, हरिद्वार द्वारा ग्राम सराय स्थित भूमि के क्रय में अनियमितताओं से संबंधित प्रकरण को लेकर उत्तराखण्ड शासन ने कार्रवाई की गति तेज कर दी है। शासन द्वारा इस पूरे प्रकरण में तीन अधिकारियों-तत्कालीन जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, तत्कालीन नगर … read more

देहरादून में प्रतिबंधित कफ सिरप बेचने पर सात मेडिकल स्टोरों के लाइसेंस हुए निरस्त

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए राज्यभर में अवैध, असुरक्षित और निम्न गुणवत्ता वाली कफ सिरप दवाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। खाद्य संरक्षा एवं … read more

सीएम धामी के निर्देश पर चला मिलावटखोरों के खिलाफ प्रदेशभर में अभियान, ऋषिकेश सहित भगवानपुर में मिले नकली उत्पाद

त्योहारी सीजन को देखते हुए प्रदेशभर में मिलावटखोरों के खिलाफ खाद्य संरक्षा एंव औषधि प्रशासन विभाग यानि एफडीए का सघन अभियान जारी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मिलावट करने वालों के खिलाफ … read more

बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न होने को लेकर राज्य में कफ सिरप के खिलाफ चल रहा सघन अभियान

प्रदेश में बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के दिशा-निर्देश पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफ.डी.ए.) उत्तराखंड द्वारा पूरे राज्य में प्रतिबंधित और संदिग्ध … read more

सीएम धामी के सख्त निर्देश मिलते ही प्रदेश में शुरू हुई प्रतिबंधित कफ सिरप को लेकर मेडिकल स्टोर्स पर छापेमारी

बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वाेच्च प्राथमिकता देते हुए उत्तराखंड सरकार ने प्रदेशभर में प्रतिबंधित कफ सिरप और औषधियों के खिलाफ सख्त अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के निर्देश … read more

नजरियाः धामी मामा सुप्रीम कोर्ट में नन्हीं परी मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे

वर्ष 2014 में काठगोदाम में मूल रूप से पिथौरागढ़ निवासी सात वर्षीय बच्ची नन्ही परी के साथ हुई दरिंदगी के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले … read more

जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगाः सीएम

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उच्चस्तरीय बैठक के दौरान निर्देश दिये कि जनस्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रदेश में नकली दवाइयों के निर्माण और बिक्री को पूरी तरह से … read more