ऋषिकेश।
कहते हैं कि गृहिस्थी गृहिणी से चलती है। बेहतर प्लानिंग और बचत की आदत से घर चलाने में दिक्कत नहीं आती है। पुराने नोट चलन से बाहर क्या हुए। हर तरफ हड़कंप मचा गया। आवश्यक खर्चों को लेकर सबके अपने-अपने तर्क हैं, लेकिन का बजट घर चला रही महिलाएं भी अपने तर्क दे रही हैं। महिलाएं इस मुश्किल घड़ी में बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं। उनका बजट प्रबंधन इसमें काम आ रहा है।
गंगा नगर निवासी अनिता जोशी गृहिणी हैं। घर के काम के साथ अपने पति विवेकानंद जोशी की स्कूल ड्रेस की दुकान में भी हाथ बंटाती हैं। उनका कहना है कि दिक्कत तो हो रही है। घर खर्च के लिए खुले पैसे बहुत जरूरी होते हैं। सरकार की प्लानिंग कुछ भी हो, हमें उसमें सहयोग करना चाहिए। आखिर उनके भविष्य का सवाल है। थोड़ा कष्ट तो झेलना ही पड़ेगा।
रेलवे रोड निवासी लता तिवाड़ी का कहना है कि छोटी-छोटी बचत इस समय काम आ रही है। बाजार से जरूरी सामान की लिस्ट बनाई है। उन्हें ही खरीद रहे हैं। नियमित दुकान से उधार सामान लेने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है। फिजूलखर्ची रुक गई है। सरकार का निर्णय को सही है, लेकिन जमीनी स्तर पर व्यवस्थाएं बेहतर करना भी सरकार की जिम्मेदारी है।
ढालवाला निवासी पुष्पा देवी ने पोते के लिए दुकान से स्कूल का स्वेटर खरीदा। दुकानदार ने खुले पैसे मांगे तो उन्होंने दस, बीस और पचास रुपये के नोट दिए। बताया कि आम आदमी का खर्च कितना है। बचत के पैसे मुश्किल घड़ी में काम आ रहे हें। आवश्यकता के अनुसार खर्च करने के लिए बैंक रुपये दे रहा है। पोते को स्वेटर की जरूरत थी, वही खरीदा है।