भगत की टीम में क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने अपनी टीम का एलान कर दिया है। भगत की टीम में उनके और प्रदेश संगठन महामंत्री समेत कुल 28 पदाधिकारी हैं। उनकी टीम में 26 नए पदाधिकारी शामिल हुए हैं। इनमें आठ प्रदेश उपाध्यक्ष, दो प्रदेश महामंत्री, एक कोषाध्यक्ष, आठ प्रदेश मंत्री, एक कार्यालय सचिव और छह प्रदेश प्रवक्ता शामिल हैं। तीन विधायकों को भगत की टीम में जगह मिली है। प्रदेश सरकार के किसी भी दायित्वधारी को टीम में शामिल नहीं किया गया है। 16 पदाधिकारियों की दोबारा टीम में जगह मिली है।
इन्हें मिली जिम्मेदारी
प्रदेश उपाध्यक्षः खजान दास (विधायक), पुष्कर सिंह धामी (विधायक), अनिल गोयल, राजकुमारी गिरी, कुसुम कंडवाल, देवेंद्र भसीन, खिलेंद्र चैधरी
प्रदेश महामंत्रीः अजय कुमार (प्रदेश संगठन महामंत्री), राजेंद्र भंडारी व कुलदीप कुमार
कोषाध्यक्षः पुनीत मित्तल
प्रदेश मंत्रीः बलबीर घुनियाल, पुष्कर सिंह काला, आशीष गुप्ता, राजेंद्र बिष्ट, आदित्य चैहान, नीरू देवी, मधु भट्ट, किरण देवी
प्रदेश कार्यालय सचिवः कौस्तुभानंद जोशी
प्रदेश प्रवक्ताः सुरेश जोशी, विनय रूहेला, विनय गोयल, नवीन ठाकुर, प्रकाश रावत, विनोद सुयाल
क्षेत्रीय असंतुलन
प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तुलना में प्रदेश भाजपा की टीम बहुत छोटी है। लेकिन टीम में वरिष्ठता, अनुभव, जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर चेहरों को जगह दी गई है। टीम में तीन महिला नेताओं को दायित्व सौंपा गया है। हालांकि क्षेत्रीय संतुलन के हिसाब से उसमें अभी विस्तार की गुंजाइश है। प्रदेश पदाधिकारियों की सूची में हरिद्वार, उत्तरकाशी व रुद्रप्रयाग जिले को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
मोर्चों की कमान
भाजपा युवा मोर्चाः कुंदन लटवाल (अध्यक्ष पद पर बरकरार)(अल्मोड़ा)
भाजपा महिला मोर्चाः ऋतु खंडूड़ी, विधायक यमकेश्वर (जनरल बीसी खंडूड़ी की सुपुत्री)(पौड़ी)
अनुसूचित जाति मोचाः अंबादत्त आर्य (नैनीताल)
अनुसूचित जनजाति मोचाः राकेश राणा (ऊधमसिंह नगर)
किसान मोर्चाः अनिल चैहान (यूएस नगर)
पुराने नेताओं को जीवित करेंगे
वहीं अब इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत का नया अभियान पार्टी के पुराने और उदासीन नेताओं को एक्टिव करने का होगा। यह अभियान वे छह अप्रैल से शुरू करेंगे।
इस अभियान के दौरान वे पुराने नेताओं के पास जाएंगे और उनसे सांगठनिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील करेंगे। उनके पास पुराने खांटी नेताओं को संगठन की जिम्मेदारी देने का एक प्लान भी है। इस अभियान में पार्टी के सभी पदाधिकारियों की भूमिका तय होगी।
संगठन की कमान संभालने के बाद से ही भगत पूरे प्रदेश के दौरा कर रहे हैं। भ्रमण के दौरान उन्हें यह महसूस हुआ कि पार्टी के पुराने और अनुभवी नेता किसी न किसी कारण से उदासीन हैं। वे भाजपा की विचारधारा से गहरे तक तो जुड़े हैं लेकिन पार्टी की गतिविधियों में शामिल नहीं हो रहे हैं। हालांकि सांगठनिक और चुनावी रणनीति के लिहाज से वे 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए काफी अहम हो सकते हैं।
प्रदेश की तकरीबन हर विधानसभा का दौरा पूरा करने के बाद भगत ने अब पुराने व उदासीन नेताओं के दरवाजे पर दस्तक देने का फैसला किया है। भगत छह अप्रैल से इस अभियान की शुरुआत करेंगे।
उनके नेतृत्व पार्टी के पदाधिकारियों की टीम फील्ड में उतरेगी और पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं से संपर्क साधेगी। उनकी कुशलक्षेम भी लेगी। अभियान के दौरान वरिष्ठ नेताओं को सम्मानित भी किया जाएगा। उनसे नियमित मुलाकातों के भी कार्यक्रम बनेंगे, जिससे वे खुद को अलग थलग महसूस न करें और खुद को हर क्षण पार्टी से जुड़ा हुआ महसूस करें।