अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में 90 वर्षीय बुजुर्ग महिला से कोरोना हार गया है। जी हां, यहां कोरोना संक्रमित होने के बाद से बुजुर्ग महिला को भर्ती किया गया था। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर लौट गई है।
एम्स निदेशक प्रो. रविकांत ने कहा कि निर्धन व्यक्ति को समुचित और बेहतर मेडिकल सुविधा देने के लिए एम्स प्रतिबद्ध है। जिस वक्त कोविड चरम पर था और अन्य अस्पताल कोविड रोगियों का इलाज करने में असमर्थता जाहिर कर रहे थे, उस दौरान कोविड मरीजों का इलाज करने में एम्स ने प्राथमिकता रखी। कहा कि कोविड मरीजों के इलाज के लिए एम्स में पर्याप्त मात्रा में बैड, आईसीयू और वेंटिलेटर्स का प्रबंध किया गया है। हेल्थ केयर वर्करों की सराहना करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए हेल्थ केयर वर्कर्स की टीम ने जोखिम उठाते हुए दिन-रात अपनी जिम्मेदारी निभाई है।
डीन हॉस्पिटल अफेयर्स प्रो. यूबी मिश्रा ने बताया कि एम्स में कोविड काल शुरू होने के बाद से अब तक 1600 से अधिक कोविड मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं। इन मरीजों में 90 साल की वृद्ध महिला से लेकर 1 दिन का नवजात शिशु तक का मरीज शामिल हैं। उन्होंने बताया कि 90 साल की वृद्धा मूलरूप से टिहरी गढ़वाल जिले के कीर्तिनगर विकासखंड के अंतर्गत मूलधार गांव की निवासी है। कोविड पाॅजिटिव इस वृद्धा को बीती 8 सितम्बर को एम्स में भर्ती किया गया था। इसे पहले से अस्थमा की बीमारी की शिकायत थी और कोरोना संक्रमित होने के बाद इसे सांस लेने में अत्यधिक तकलीफ हो रही थी। 17 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद पूर्ण स्वस्थ होने पर इसे 25 सितम्बर को डिस्चार्ज कर दिया गया था।
कहा कि कोविड मरीजों का ग्राफ कुछ कम हुआ है, लेकिन इसका खतरा अभी टला नहीं है। इस बीमारी के प्रति जरा सी लापरवाही फिर से भारी पड़ सकती है। उधर, 90 वर्षीय वृद्धा मौली देवी के पौत्र चैदहबीघा, ऋषिकेश निवासी दीपक कंडारी ने बताया कि उनकी दादी आजकल गढ़वाल में है और पूर्णतौर से स्वस्थ है। अपनी दादी के बेहतर उपचार के लिए उन्होंने एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों का आभार जताया।