97 दूनवासियों के बैंक खातों में सेंध लगाकर की गई लाखों रुपये की साइबर ठगी में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने आरोपी साइबर ठगों की महिला साथी को भी गिरफ्तार कर लिया है, जिसकी गैंग में अहम भूमिका थी। गिरोह के लिए रुपयों से लेकर गाड़ी तक का इंतजाम यही महिला करती थी। उसके कब्जे से पुलिस ने 2.32 लाख रुपये, चार एटीएम कार्ड, दो चेक बुक, एक पासबुक और हरियाणा नंबर की स्कॉपियो के कागजात बरामद किए हैं।
इस प्रकरण में यह पहली गिरफ्तारी है। आरोपी महिला की पहचान अनिल कुमारी पुत्री दया सिंह निवासी सोनीपत हरियाणा के रूप में हुई। उसे सेक्टर तीन रोहतक स्थित एक घर से गिरफ्तार किया गया। महिला के साथियों की तलाश में पुलिस की दबिश जारी है। एसएसपी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल और एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि आरोपी महिला को न्यायालय में पेश किया जाएगा।
गौरतलब है कि देहरादून में जुलाई के पहले सप्ताह में साइबर ठगी की घटना सामने आई थी। शातिर ठगों ने एसबीआइ के एटीएम में स्कीमर डिवाइस लगाकर विभिन्न बैंकों के खाताधारकों के एटीएम कार्ड के क्लोन तैयार किए और इसके बाद इन खातों से करीब तीस लाख रुपये निकाल लिए। मोबाइल पर रुपये निकासी का मैसेज आने पर खाताधारकों को इसका पता चला। 14 जुलाई से ये मामले सामने आने लगे। अभी तक 97 लोग इस संबंध में मामला दर्ज करा चुके हैं और करीब 30 लाख रुपये निकाले जाने का पता चला है। ठगों ने एक से आठ जुलाई के बीच एटीएम कार्डों की क्लोनिंग की थी।
काफी पहले हो गई थी आरोपियों की पहचान
राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित की थी, जिसके निर्देशन में एसटीएफ और विभिन्न थानों की पुलिस ठगों तक पहुंचने की कड़ियां जोड़ रही थी। दून-दिल्ली से लेकर जयपुर तक के सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस को महत्वपूर्ण कड़ियां हाथ लगी। इसके बाद दून के होटलों और धर्मशालाओं में इस दौरान रुके लोगों के बारे में जानकारी जुटाकर आरोपी साइबर ठगों की पहचान की गई। 10 दिन की मैराथन कसरत के बाद पुलिस ने तीन आरोपियों झज्जर (हरियाणा) निवासी रामबीर, सुदेश और जगमोहन की पहचान कर ली थी। हालांकि, इनकी गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है। वहीं सोमवार तक पुलिस ने खातों से उड़ाई रकम का भी पता लगा लिया। शातिरों ने रकम झज्जर में कैलाशो देवी नामक महिला के खाते में जमा कराई थी। इस खाते में 34 लाख रुपये जमा हैं। पुलिस ने इस खाते को 24 जुलाई को फ्रीज करा दिया था।
पुलिस ने बताया कि अनिल कुमारी, रामबीर की बेहद करीबी है। वह दोनों दिल्ली में लिव इन रिलेशनशिप में रहते थे। रामबीर के साथ अनिल कई बार दिल्ली, जयपुर और हिमाचल प्रदेश गई। बाद में रामबीर ने उसे गैंग में शामिल कर लिया और कुछ दिनों में ही वह गैंग की अहम सदस्य बन गई। वह गैंग के सदस्यों के लिए गाड़ी, रहने की व्यवस्था, सिम कार्ड आदि सभी जरूरी चीजें और सामान उपलब्ध कराती थी। ठगी के रुपयों का सेटेलमेंट भी अनिल ही करती थी।
अन्य राज्यों में भी दे चुके हैं घटना को अंजाम
पुलिस ने बताया कि यह गैंग दून ही नहीं बल्कि दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, जयपुर समेत कई स्थानों में भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे चुका है। गैंग के सदस्य ऐसी एटीएम मशीनों को निशाना बनाते हैं, जहां गार्ड न हो। एटीएम में घुसते ही यह कैमरा खराब करते और फिर स्कीमिंग डिवाइस (स्कीमर) लगा देते थे। इससे पहले वह आसपास के एटीएम को ग्लू या अन्य तरीकों से खराब कर देते, जिससे लोग डिवाइस लगे एटीएम से निकासी करें। एटीएम की क्लोनिंग करने के बाद यह गिरोह अन्य राज्यों में जाकर रुपये निकालता था। ठगी के रुपयों से ये लोग या तो जमीन खरीदते या गाड़ियां और फ्लैट।