ऋषिकेश।
गुरुवार को परमार्थ निकेतन में आयोजित चर्चा में धर्मगुरुओं ने ऋषिकेश के गंगा तट पर इंडोनेशिया हिन्दू समुदाय केन्द्र खोलने पर गहन मंथन किया। धर्मगुरुओं ने कहा कि यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान का ऐसा केन्द्र होगा। जहां पर इन्डोनेशिया के संगीतप्रेमी व संस्कृति के वाहक उत्तराखंड की भूमि पर आ सकेंगे। यहां योग की संस्कृति को आत्मसात कर अपने जीवन में बदलाव लायेंगे। स्वामी चिदानन्द मुनि ने कहा कि भारत की संस्कृति और सभ्यता संसार की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है। इसमें योग और आयुर्वेद जैसे खजानों के राज छुपे हुये है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक आदन-प्रदान के केन्द्र स्थापित करते है तो इससे अनेक समस्याओं का हल सहजता से निकाला जा सकता है।
गांधीपुरी आश्रम के संस्थापक इन्द्रा उद्यान ने कहा कि यह सांस्कृतिक केन्द्र दो परम्पराओं एवं संस्कृतियों के मिलन का केन्द्र होगा। इंडोनेशिया व बाली के लोग भी भारतीय आध्यात्म, योग एवं आयुर्वेद को आत्मसात कर पायेंगे। बाली से आये प्रतिनिधिमण्डल ने विश्व के सभी व्यक्तियों तक शुद्ध जल एवं शुद्ध प्राणवायु की उपलब्धता को लेकर वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी में सहभाग किया। चिदानंद मुनि ने पर्यावरण व जल स्रोतो को संरक्षित करने का संकल्प करवाया।
Mar162017