उत्तराखंड की पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र रावत सरकार ने वैलनेस समिट के नाम पर राज्य वासियों को सपने बेचने का काम किया। करोड़ों रुपए फूंकने के बाद यह समिट सिर्फ चूं चूं का मुरब्बा साबित हुआ।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की विदाई के साथ उत्तराखंड में ओधोगिक इकाइयों में निवेश के सपने भी ओझल हो चुके हैं।
‘आप’ के जिला मीडिया प्रभारी डॉ राजे सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड में आयुष, वेलनेस, योग, पर्यटन और आर्गेनिक सेक्टर में निवेश की संभावनाओं और नीतियों को साझा करने के नाम पर भाजपा सरकार द्वारा करोड़ों रूपये फूंक दिए गये। देश के नामचीन उद्योगपतियों सहित 25 देशों के राजदूतों को समिट में बुलवाकर प्रदेश की पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र रावत सरकार ने उनकी आवभगत करने के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई ठिकाने लगाने का काम किया है। इस समिट से उत्तराखंड को क्या हासिल हुआ इस पर अभी तक रहस्य का पर्दा पड़ा हुआ है।
समिट में वेलनेस इकोनॉमी, वेलनेस टूरिज्म, आर्गेनिक फूड, वेलनेस उत्पाद समेत आठ सेक्टरों में निवेश के लिए देश दुनिया के उद्यमियों के साथ एमओयू किए जाने का दावा उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार कर रही थी। उस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बताया था कि राज्य में आयोजित पहले निवेशक शिखर सम्मेलन के शुरू होने से पहले ही 70,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं। यह निवेश कहां हुआ इसकी कोई जानकारी अब तक राज्यवासियों को नही मिल पाई है। जो कि अपने आप में बेहद चैंकाने वाला है।